राजगुरु जयंती: 22 साल की उम्र में भगत सिंह और सुखदेव के साथ देश के लिए हुए थे शहीद
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: August 24, 2018 07:33 AM2018-08-24T07:33:17+5:302018-08-24T08:48:17+5:30
राजगुरु को भगत सिंह और सुखदेव के साथ 23 मार्च 1931 को ब्रिटिश सरकार ने लाहौर की सेंट्रल जेल में फाँसी दे दी थी।
आज शहीद हरि शिवराम राजगुरु की जयंती है। 24 अगस्त 1908 को महाराष्ट्र के खेड़ में जन्मे राजगुरु महज 22 साल की उम्र में देश के लिए फाँसी पर चढ़ गये थे। राजगुरु को भगत सिंह और सुखदेव के साथ 23 मार्च 1931 को ब्रिटिश सरकार ने लाहौर की सेंट्रल जेल में फाँसी दे दी थी। राजगुरु, सुखदेव और भगत सिंह तीनों को सॉन्डर्स हत्याकाण्ड का दोषी पाया गया था।
राजगुरु जब छह साल के थे तब उनके पिता हरिनारायण की मृत्यु हो गयी। राजगुरु के प्राथमिक शिक्षा खेड़ में हुई थी। बाद में उन्होंने पुणे के न्यू इंग्लिश हाई स्कूल में पढ़ाई की। राजगुरु कम उम्र में ही क्रांतिकारियों के साथ जुड़ गये थे।
लाजपत राय की हत्या का बदला
राजगुरु को लाहौर षडयंत्र काण्ड (दिसम्बर 1928) और सेंट्रल असेंबली हॉल (अप्रैल 1929) में बम फेंकने के लिए दोषी पाया गया था।अक्टूबर 1928 में साइमन कमीशन का विरोध कर रहे भारतीयों पर ब्रिटिश पुलिस ने लाठीचार्ज कर दी। विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे लाला लाजपत राय की लाठियों की चोट की वजह से मौत हो गयी।
इस लाठीचार्ज के जिम्मेदार पुलिस अफसर जेपी सॉन्डर्स की राजगुरु, सुखदेव और भगत सिंह ने हत्या कर दी। सॉन्डर्स के बाद राजगुरु पुणे वापस आ गये थे। लेकिन ब्रिटिश पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। अंग्रेजों ने राजगुरु, सुखेदव और भगत सिंह को सॉन्डर्स हत्या के लिए फाँसी दे दी। राजगुरु के जीवन के बारे में हमें ज्यादा जानकारी नहीं मिलती है।
सरकार ने खेड़ का नाम राजगुरु के नाम पर राजगुरु नगर रखा है।