शिवसेना (यूबीटी) ने शरद पवार के 'अजीत हमारे नेता' वाले बयान पर कहा, "हमें जिसने छोड़ा, हमने गद्दार कहा, उनके कथन से संदेह पैदा होगा"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: August 25, 2023 04:16 PM2023-08-25T16:16:24+5:302023-08-25T16:21:26+5:30
शिवसेना (यूबीटी) ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार के उस बयान पर संशय जताया है, जिसमें शरद पवार ने अपने भतीजे और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार को अपना नेता बताया है।
मुंबई: शिवसेना (यूबीटी) ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार के उस बयान पर संशय जताया है, जिसमें शरद पवार ने भाजपा और शिवसेना के शिंदे गुट के साथ सत्ता का आनंद ले रहे अपने भतीजे और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार को अपना नेता बताया है।
विपक्षी दलों में कांग्रेस और एनसीपी के साथ महाविकास अघाड़ी बनाकर सूबे की सत्ता के खिलाफ संघर्ष कर रही शिवसेना (यूबीटी) ने शरद पवार द्वारा अजित पवार को एनसीपी का नेता कहे जाने पर चिंता जताई है। पार्टी का कहना है कि इससे महाविकास अघाड़ी के साथ जुड़े लोगो, पार्टी कार्यकर्ताओं और जनता के मन में भ्रम की स्थिति पैदा होगी।
समाचार वेबसाइट इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार एनसीपी चीफ पवार ने शुक्रवार को बारामती में कहा कि कुछ नेताओं ने 'अलग राजनीतिक रुख' अपनाकर एनसीपी छोड़ दी है लेकिन इसे पार्टी का विभाजन नहीं कहा जा सकता है। उन्होंने कहा, “अजित पवार हमारे नेता हैं। इसमें कोई विवाद नहीं है।''
पवार के इस बयान को लेकर शिवसेना (यूबीटी) एमएलसी और विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने कहा, “इसमें कोई संदेह नहीं है कि शरद पवार के ऐसे बयान कार्यकर्ताओं और लोगों के मन में भ्रम पैदा कर रहे हैं। अगर वह कह रहे हैं कि अजित पवार उनके नेता हैं और वो अब भी एनसीपी में हैं, तो निश्चित रूप से उनके रुख को लेकर लोगों के मन में भ्रम पैदा होगा।”
उन्होंने कहा, “हमारी पार्टी में कुछ लोगों ने उद्धव ठाकरे को धोखा दिया और पार्टी छोड़ दी। हमने साफ तौर पर उन्हें गद्दार कहा। हमारी तरह एनसीपी में भी वही हुआ, कुछ लोगों ने पार्टी विरोधी गतिविधि में शामिल होकर पार्टी छोड़ी है। इसे सीधे तौर पर विश्वासघात कहते हैं।"
इसके साथ ही अंबादास दानवे ने कहा, "एनसीपी भले ही उन्हें गद्दार न मानें लेकिन हम उन लोगों को गद्दार ही मानते हैं, जिन्होंने हमारी शिवसेना छोड़ दी।"
हालांकि दानवे ने यह भी कहा कि उन्हें उम्मीद है कि शरद पवार के दिये बयान से महाविकास अघाड़ी में कोई मतभेद या टकराव पैदा नहीं होगा और विपक्षी गठबंधन पहले की तरह आगे भी मजबूत बना रहेगा।
दानवे ने आखिर में कहा, "मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि एनसीपी में हुए विभाजन का मुद्दा चुनाव आयोग के पास जाएगा। इसलिए पार्टी के नाम, चुनाव चिह्न और संविधान की रक्षा के लिए पावर की ओर से ऐसे बयान दिए जा रहे हैं।"