तीसरी बार मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठेगा कोई शिवसेना का नेता, ठाकरे परिवार से पहले सीएम होंगे उद्धव ठाकरे
By रामदीप मिश्रा | Published: November 26, 2019 06:33 PM2019-11-26T18:33:04+5:302019-11-26T18:33:04+5:30
महाराष्ट्र में यह तीसरा मौका है जब कोई शिवसेना का नेता मुख्यमंत्री बनने जा रहा है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां कह चुकी हैं कि प्रदेश में शिवसेना का मुख्यमंत्री होगा।
महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर पिछले एक महीने से लगातार सियासी संग्राम छिड़ा हुआ है। इस बीच शनिवार (23 नवंबर) को बीजेपी ने एनसीपी से बागी हुए अजित पवार को साथ लेकर सरकार बना ली और देवेंद्र फड़नवीस को दोबारा मुख्यमंत्री बनाया गया, लेकिन बुधवार को फड़नवीस ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया क्योंकि बीजेपी के पास बहुमत नहीं था। इधर, शिवसेना प्रमुख लगातार कह रहे हैं कि महाराष्ट्र में सीएम कोई शिवसेना से ही होगा। अब कहा जा रहा है कि वह महाराष्ट्र के अगले सीएम होंगे जो ठाकरे परिवार से पहले मुख्यमंत्री बनेंगे।
महाराष्ट्र में यह तीसरा मौका है जब कोई शिवसेना का नेता मुख्यमंत्री बनने जा रहा है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां कह चुकी हैं कि प्रदेश में शिवसेना का मुख्यमंत्री होगा। इससे पहले दो बार राज्य की सत्ता शिवसैनिक संभाल चुके हैं। सबसे पहले 14 मार्च, 1995 को मनोहर जोशी मुख्यमंत्री बने थे। इसके बाद एक फरवरी, 1999 को नारायण राणे मुख्यमंत्री बने। तब से कोई शिवसेना से मुख्यमंत्री नहीं बना है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 के रिजल्ट जारी के बाद से लगातार उद्धव ठाकरे दावा कर रहे हैं कि राज्य में शिवसेना का मुख्यमंत्री होगा क्योंकि वह अपने पिता बालासाहेब ठाकरे को वादा कर चुके थे के एकदिन जरूर शिवसेना से मुख्यमंत्री बनेगा। हालांकि सबसे बड़ी बात ये है कि ठाकरे परिवार से आजतक कोई मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठा है, यह पहला मौका होगा जब उद्धव ठाकरे प्रदेश के मुख्यमंत्री बनेंगे। ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर शिवसेना नेता संजय राउत ऐलान कर चुके हैं।
बता दें कि महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन ने पिछले महीने हुए राज्य विधानसभा चुनाव में क्रमश: 105 और 56 सीटों के साथ स्पष्ट बहुमत हासिल किया था। हालांकि, शिवसेना की मुख्यमंत्री पद की मांग बीजेपी द्वारा ठुकराए जाने के बाद यह गठबंधन टूट गया। एनसीपी और कांग्रेस ने 21 अक्टूबर को हुए चुनाव में क्रमश: 54 और 44 सीटों पर जीत दर्ज की थी।