साईं बाबा की जन्मभूमि को लेकर सीएम उद्धव ठाकरे के बयान के बाद मचा है बवाल, शिरडी आज बंद, लेकिन मंदिर के खुले हैं कपाट
By रामदीप मिश्रा | Published: January 19, 2020 07:50 AM2020-01-19T07:50:41+5:302020-01-19T09:04:57+5:30
महाराष्ट्र: यह विवाद उस समय पैदा हुआ जब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने परभणी जिले के पाथरी में साई बाबा जन्मस्थान पर सुविधाओं का विकास करने के लिए 100 करोड़ रुपये की राशि आवंटित करने की घोषणा की।
महाराष्ट्र के शिरडी में स्थानीय लोगों ने साई बाबा के जन्म स्थान को लेकर उपजे विवाद को लेकर आज बंद बुलाया है। हालांकि, साई बाबा मंदिर बंद के बावजूद मंदिर के कपाट खुले हैं। बता दें, शिरडी स्थित साई मंदिर में देशभर के लाखों श्रद्धालु आते हैं और बाबा के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की लंबी-लंबी कतारें लगती हैं।
उल्लेखनीय है कि यह विवाद उस समय पैदा हुआ जब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने परभणी जिले के पाथरी में साई बाबा जन्मस्थान पर सुविधाओं का विकास करने के लिए 100 करोड़ रुपये की राशि आवंटित करने की घोषणा की। कुछ श्रद्धालु पाथरी को साई बाबा का जन्मस्थान मानते हैं जबकि शिरडी के लोगों का दावा है कि उनका जन्मस्थान अज्ञात है। शिरडी से पाथरी करीब 270 किलोमीटर दूर है और मराठवाड़ा में स्थित है।
स्थानीय भाजपा विधायक राधाकृष्ण विखे पाटिल ने कहा कि उन्होंने स्थानीय लोगों द्वारा बुलाए गए बंद का समर्थन किया है। मुख्यमंत्री को साई बाबा का जन्मस्थान पाथरी होने संबंधी बयान को वापस लेना चाहिए।
पूर्व राज्यमंत्री ने कहा, ‘‘देश के कई साई मंदिरों में एक पाथरी में भी है। सभी साई भक्त इससे आहत हुए हैं, इसलिए इस विवाद को खत्म होना चाहिए।’’ कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने शुक्रवार को कहा था कि श्रद्धालुओं के लिए सुविधाओं का पाथरी में विकास का विरोध जन्मस्थान विवाद की वजह से नहीं किया जाना चाहिए।
Maharashtra: A bandh has been called today in Shirdi town, against CM Uddhav Thackeray's reported comment calling Pathri (in Parbhani) as Sai Baba's birthplace. pic.twitter.com/wxPGlrRJki
— ANI (@ANI) January 19, 2020
शिरडी गांव के निवासी और शिरडी साईं ट्रस्ट के कार्यकर्ता मुख्यमंत्री के इस बयान का विरोध कर रहे हैं। इनका कहना है कि पाथरी को साईं बाबा का जन्मस्थान बताना ठीक नहीं है। विरोध करने वालों के अनुसार साईं का जन्म कहा हुआ था, इसका कहीं भी उल्लेख नहीं किया गया है और न ही साईं ने कभी खुद इस बारे में बताया। वहीं, साईं बाबा के जीवन पर लिखे गए ग्रंथ साई चरितमानस में साईं बाबा का जन्मस्थान पाथरी बताया गया है।
इस विवाद में पाथरी के लोगों का कहना है कि अगर उनके यहां विकास हुआ तो शिरडी को आर्थिक नुकसान होगा। ऐसा इसलिए कि दूसरा तीर्थक्षेत्र साई बाबा के नाम से विकसित हो जाएगा। पूरा विवाद इसी को लेकर है।
ऐसा कहा जाता है कि साईं बाबा पहली बार 1854 में शिरडी में दिखाई दिए थे। उस समय उनकी उम्र 16 साल थी। वे एक पेड़ के नीचे बैठे देखे गये। इस बाल योगी को देखकर लोग इनकी ओर आकर्षित हुए। हालांकि, कुछ समय बाद साईं फिर यहां से गायब हो गये। कथा के अनुसार काफी दिन बाद चांद पाटिल नाम के व्यक्ति की बारात में वह शिरडी पहुंचे। 1918 में दशहरे के दिन बाबा ने शिरडी में समाधि ले ली थी।