शीला दीक्षितः ससुर और कांग्रेस के दिग्गज नेता उमाशंकर दीक्षित से सीखा राजनीति दांवपेंच
By सतीश कुमार सिंह | Published: July 20, 2019 05:26 PM2019-07-20T17:26:19+5:302019-07-20T17:26:19+5:30
वह साल 1984 से 1989 तक उत्तर प्रदेश के कन्नौज से सांसद रहीं। बाद में वह दिल्ली की राजनीति में सक्रिय हुईं। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत अपने ससुर उमा शंकर दीक्षित के सानिध्य में की।
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष शीला दीक्षित नहीं रहीं। वह 81 साल की थीं। शीला दीक्षित का जन्म 31 मार्च 1938 को पंजाब के कपूरथला में हुआ था।
उन्होंने दिल्ली के कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी स्कूल से पढ़ाई की और फिर दिल्ली यूनिवर्सिटी के मिरांडा हाउस कॉलेज से उच्च शिक्षा हासिल की। वह साल 1984 से 1989 तक उत्तर प्रदेश के कन्नौज से सांसद रहीं। बाद में वह दिल्ली की राजनीति में सक्रिय हुईं। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत अपने ससुर उमा शंकर दीक्षित के सानिध्य में की।
राजनीतिक गलियारों में शीला दीक्षित की गांधी परिवार से करीबी किसी से छिपी हुई नहीं थी। उनके ससुर उमाशंकर दीक्षित भी कांग्रेस के बड़े नेताओं में से एक थे। 1969 में जब इंदिरा गांधी को कांग्रेस से निकाला गया तो उनका साथ देने वालों में उमाशंकर दीक्षित शामिल थे।
जब इंदिरा गांधी की सत्ता में वापसी हुई तो उमाशंकर दीक्षित उनकी वफादारी का इनाम मिला और वह 1974 में देश के गृहमंत्री बनाए गए। संजय गांधी युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर जोर देते थे। ऐसे में उस समय शीला दीक्षित एक अच्छा विकल्प बनीं। राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद शीला दीक्षित राज्यमंत्री बनीं। 1991 में ससुर उमाशंकर दीक्षित का देहांत होने के बाद शीला पूरी तरह से दिल्ली में बस गईं। शीला दीक्षित युवावस्था से ही राजनीति में रुचि लेने लगी थीं।
शीला दीक्षित ने राजनीति के गुर अपने ससुर से सीखे थे। उमाशंकर दीक्षित कानपुर कांग्रेस में सचिव थे। पार्टी में धीरे-धीरे उनकी सक्रियता बढ़ती गई और वे पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू के करीबियों में शामिल हो गए, जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री रहीं तो उमाशंकर दीक्षित देश के गृहमंत्री थे। ससुर के साथ-साथ शीला भी राजनीति में उतर गईं। एक रोज ट्रेन में सफर के दौरान उनके पति की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी।1991 में ससुर की मौत के बाद शीला ने उनकी विरासत को पूरी तरह संभाल लिया। उनके दो बच्चे संदीप और लतिका हैं।
शीला दीक्षित जल्द ही गांधी परिवार के भरोसेमंद साथियों में शुमार हो गईं। राजीव गांधी के निधन के बाद सोनिया गांधी ने भी उनके ऊपर पूरा भरोसा जताया। गांधी परिवार से उनकी कितनी नजदीकियों थी, इसका अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि जब इंदिरा गांधी की हत्या की खबर सुनकर राजीव गांधी कोलकाता से दिल्ली के लिए जा रहे थे तो उनके साथ उस विमान में प्रणब मुखर्जी के अलावा शीला दीक्षित भी थीं। शीला ने ही राजीव गांधी को प्रधानमंत्री बनाए जाने की रणनीति बनाई थी।