शशि थरूरः कैसे इंग्लैंड के बड़े लॉ-कॉलेज के टॉपर से पत्नी के हत्या के आरोपी बन गए

By भाषा | Published: June 10, 2018 12:33 PM2018-06-10T12:33:48+5:302018-06-10T13:56:25+5:30

अपने हिंदू और शाकाहारी होने पर गर्व करने वाले थरूर ने भारत के इतिहास, संस्कृति, फिल्म, राजनीति, विदेश नीति और अन्य तमाम विषयों पर 16 से अधिक बेस्ट सैलर किताबें लिखी हैं।

Shashi Tharoor biography: From Topper of Law College Britain to wife murder accused | शशि थरूरः कैसे इंग्लैंड के बड़े लॉ-कॉलेज के टॉपर से पत्नी के हत्या के आरोपी बन गए

शशि थरूरः कैसे इंग्लैंड के बड़े लॉ-कॉलेज के टॉपर से पत्नी के हत्या के आरोपी बन गए

नई दिल्ली, 10 जून : वक्त की फितरत है पलट जाना और कई बार यह ऐसा पलटता है कि इनसान को अर्श से फर्श पर ला पटकता है। वक्त के बदल जाने की इसी अदा के शिकार हैं शशि थरूर। किसी समय बेहतरीन वक्ता, उम्दा लेखक, कुशल राजनयिक और विदेश मामलों के जानकार की खूबियों वाला एक शख्स आज अपनी पत्नी की हत्या का आरोपी ठहराया गया है।

शशि थरूर के जीवन के उजले पक्ष की बात करें तो उनके जन्म से शुरुआत करनी होगी । लंदन में 1956 में एक मलयाली परिवार में जन्मे शशि थरूर की शिक्षा भारत और ब्रिटेन में हुई। उन्होंने फ्लेचर स्कूल आफ लॉ एंड डिप्लोमेसी से 1978 में पीएचडी की और उन्हें सर्वश्रेष्ठ छात्र करार देते हुए राबर्ट बी स्टरवर्ट अवार्ड से सम्मानित किया गया। वह अन्तरराष्ट्रीय मामलों पर फ्लेचर फोरम के पहले संपादक बने, उन्हें पुजेट साउंड यूनिवर्सिटी द्वारा मानद डी. लिट और बुखारेस्ट यूनिवर्सिटी द्वारा डाक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की गई। 1988 में दावोस में विश्व आर्थिक मंच ने उन्हें भविष्य का वैश्विक नेता करार दिया। उन्हें लेखन के लिए कामनवेल्थ राइटर्स प्राइज और प्रवासी भारतीय सम्मान प्रदान किया गया।

पढ़ाई पूरी करने के बाद आर्थिक और राजनीतिक मामलों पर थरूर की पकड़ और समझ काफी मजबूत हो चुकी थी और प्रेस की स्वतंत्रता, मानव अधिकार और अन्तरराष्ट्रीय मामलों पर उनके विचार उन्हें जीवन में कुछ बेहतर करने के लिए प्रेरित कर रहे थे।

सुनंदा पुष्कर मौत मामला: शशि थरूर को कोर्ट ने माना आरोपी, 7 जुलाई को पेशी

संयुक्त राष्ट्र में थरूर का करियर 1978 में जिनीवा में संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त में एक स्टाफ सदस्य के रूप में शुरू हुआ। इसके बाद विभिन्न पदों पर अपने दायित्वों को सफलतापूर्वक अंजाम देते हुए वह 1989 में संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष सहायक आयुक्त नियुक्त किए गए। 1996 में महासचिव के कार्यकारी सहायक बनाए गए और 2001 में संचार और लोक सूचना का महासचिव बनाया गया। 2003 में उन्हें संयुक्त राष्ट्र समन्वयक की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई। 

संयुक्त राष्ट्र में थरूर का कद लगातार बढ़ता जा रहा था और उनके कार्यों और व्यक्तित्व की सर्वत्र सराहना हो रही थी। इसी का नतीजा था कि वर्ष 2006 में उन्हें भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव पद के लिए नामित किया। ऐसा माना जा रहा था कि 50 वर्ष के थरूर के महासचिव बन जाने से इस विश्व संगठन में भारत की बड़ी भूमिका निभाने की इच्छा को बल मिलता, लेकिन दक्षिण कोरिया के बान की मून के महासचिव बनना निश्चित होने के बाद थरूर ने अपनी उम्मीदवारी वापिस ले ली और राजनयिक के रूप में अपने करियर का अंत करने का फैसला किया।

थरूर के जीवन के यह 50 वर्ष शिक्षा और पेशे के लिहाज से बेहतरीन कहे जा सकते हैं। उसके बाद समय ने करवट बदली और उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया। उन्होंने एक बार खुद स्वीकार किया था कि कांग्रेस के साथ वैचारिक रूप से सहज महसूस करने के कारण उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने का फैसला किया। 2009 में वह केरल के तिररूवनंतपुरम से कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीते और विदेश राज्य मंत्री बनाए गए।

'मैं जीना नहीं चाहती', मौत के कुछ दिन पहले सुनंदा ने पति शशि थरूर को किया था ये मैसेज

इस दौरान उनके सितारे लगातार गर्दिश में रहे। 2010 में आईपीएल क्रिकेट लीग में हिस्सेदारी को लेकर उनपर कई तरह के आरोप लगाए गए। उन्हें अपना मंत्री पद छोड़ देना पड़ा और विवादों के साथ उनका नाता जुड़ने लगा। इसी दौरान उन्होंने कश्मीरी युवती सुनंदा पुष्कर के साथ विवाह कर लिया। 2012 में उन्हें मानव संसाधन विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री के तौर पर फिर से सरकार में शामिल किया गया, लेकिन राजनीतिक हलकों वह कई तरह की आलोचनाओं में घिरने लगे। 

अक्तूबर 2012 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री के तौर पर नरेन्द्र मोदी ने सुनंदा पुष्कर को शशि थरूर की ‘‘50 करोड़ की गर्लफ्रेंड’’ करार दिया। थरूर ने हालांकि प्रेम को अनमोल बताकर उनकी बात का जवाब देने का प्रयास किया, लेकिन उन्हें किसी ने ‘‘लव गुरू’’ कहा तो किसी ने उन्हें देश के लव मंत्रालय का मंत्री बनाने की बात कहकर तंज कसा। 

थरूर का मुश्किल वक्त 2014 शुरू होते ही कुछ और मुश्किल हो गया, जब अचानक उनकी और सुनंदा पुष्कर के वैवाहिक रिश्ते पर सवाल उठने लगे। पाकिस्तान की पत्रकार मेहर तरार के साथ शशि थरूर के कथित संबंधों को लेकर मीडिया और सोशल मीडिया पर तरह तरह की बातें सामने आईं और कुछ दिन के भीतर ही 57 वर्षीय सुनंदा पुष्कर दिल्ली के एक पांच सितारा होटल में मृत पाई गईं। शुरू में इसे आत्महत्या का मामला माना गया, लेकिन फिर धीरे धीरे हालात में ऐसे ऐसे मोड़ आए कि संदेह की सुई शशि थरूर की तरफ घूम गई।

इन सबके अलावा शशि थरूर के व्यक्तित्व का एक और पहलू उनके लेखन से जुड़ा है। अपने हिंदू और शाकाहारी होने पर गर्व करने वाले थरूर ने भारत के इतिहास, संस्कृति, फिल्म, राजनीति, विदेश नीति और अन्य तमाम विषयों पर 16 से अधिक बेस्ट सैलर किताबें लिखी हैं। उनके सैकड़ों वक्तव्य, स्तंभ, लेख और विश्लेषण देश और दुनिया के तमाम बड़े अखबारों में प्रकाशित होते रहते हैं। वह देश की राजनीति, अर्थशास्त्र और विदेशी मामलों पर विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त कुशल वक्ता हैं।

महावीर जयंती पर भगवान बुद्ध की फोटो पोस्ट कर ट्विटर पर ट्रोल हुए शशि थरूर

शशि थरूर देश में राजनीतिक संवाद के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल सबसे पहले करने वालों में शुमार थे। लंबे समय तक ट्विटर पर उनके फालोअर्स की संख्या देश में सबसे ज्यादा थी। 2013 तक वह सबसे ज्यादा फालोअर्स वाली शख्सियत थे, जिन्हें बाद में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पीछे छोड़ा। 

इसमें दो राय नहीं कि थरूर ने जब जहां जिस हैसियत से भी काम किया उसमें अपने दायित्व को बेहतरीन तरीके से अंजाम दिया। यूट्यूब जैसे ऑनलाइन मंचों पर उनके एक एक भाषण पर लाखों लोग उनके साथ जुड़ गए। उनकी ओजस्वी वाणी और अपनी बात को दूसरे तक सहज ढंग से पहुंचाने का हुनर उन्हें सदा कतार में सबसे आगे रखता रहा, लेकिन इन दिनों उनपर वक्त की मेहरबानियां कुछ कम ही हैं और आगे का रास्ता मुश्किल दिखाई देता है।

Web Title: Shashi Tharoor biography: From Topper of Law College Britain to wife murder accused

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे