कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने बिना योजना के लॉकडाउन लागू करने पर केंद्र सरकार की आलोचना की है। थरूर ने एक वीडियो संदेश में कहा है कि लॉकडाउन के सबसे बुरे नतीजे मजदूर वर्ग को भुगतने पड़े हैं। उन्होंने कहा, पैसे के तंगी के बीच सरकार उनके लिए उपयुक्त साधन नहीं जुटा पा रही है। जो ट्रेन चलाई जा रही है उसका किराया मजदूरों के पहुंच से बाहर है। इस परिस्थिति में मजदूर भाइयों के कठिनाइयों को समाप्त करना सरकार की प्रथम प्राथमिकता होनी चाहिए। केंद्र सरकार की लापरवाही से हर भारतवासी शर्मिंदा हैं।
शशि थरूर ने आगे कहा, दिल दुखता है जब हम यह देखते हैं कि जिन मजदूर भाइयो और बहनों ने हमारे लिए मकान बनाए और सेवा की, बुरे वक्त में उन्हें महानगरों में ना छत मिली और ना ही रसद। बिना योजना के लॉकडाउन का नतीजा सबसे ज्यादा मजदूर वर्ग भुगत रहा है।
वहीं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कोरोना वायरस महामारी में मुसीबत का सामना कर रहे गरीबों, किसानों एवं मजदूरों तक ‘न्याय’ योजना की तर्ज पर मदद पहुंचाने की मांग की है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार से आग्रह किया कि वह आर्थिक पैकेज पर पुनर्विचार करें और सीधे लोगों के खातों में पैसे डालें।
गांधी ने वीडियो लिंक के माध्यम से संवाददाताओं से कहा, ‘जो पैकेज होना चाहिए था वो कर्ज का पैकेज नहीं होना चाहिए था। इसको लेकर मैं निराश हूं। आज किसानों, मजदूरों और गरीबों के खाते में सीधे पैसे डालने की जरूरत है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ आप (सरकार) कर्ज दीजिए, लेकिन भारत माता को अपने बच्चों के साथ साहूकार का काम नहीं करना चाहिए, सीधे उनकी जेब में पैसे देना चाहिए। इस वक्त गरीबों, किसानों और मजदूरों को कर्ज की जरूरत नहीं, पैसे की जरूरत है।’’
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘ मैं विनती करता हूं कि नरेंद्र मोदी जी को पैकेज पर पुनर्विचार करना चाहिए। किसानों और मजदूरों को सीधे पैसे देने के बारे में सोचिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैंने सुना है कि पैसे नहीं देने का कारण रेटिंग है। कहा जा रहा है कि वित्तीय घाटा बढ़ जाएगा तो बाहर की एजेंसियां हमारे देश की रेटिंग कम कर देंगी। हमारी रेटिंग मजदूर, किसान, छोटे कारोबारी बनाते हैं। इसलिए रेटिंग के बारे में मत सोचिए, उन्हें पैसा दीजिए।’’