70 के दशक में कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल कर चर्चा में आए थे शरद यादव, राजनीति में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 13, 2023 07:43 AM2023-01-13T07:43:15+5:302023-01-13T08:00:56+5:30
दिग्गज समाजवादी नेता ने बृहस्पतिवार को गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। यादव को दिल्ली में उनके छतरपुर स्थित आवास पर अचेत होने के बाद अस्पताल ले जाया गया था। वह 75 वर्ष के थे।
नयी दिल्लीः शरद यादव एक प्रमुख समाजवादी नेता थे, जो 70 के दशक में कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल कर चर्चा में आए और दशकों तक राजनीति में अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज कराई। वह लोकदल और जनता पार्टी से टूटकर बनी पार्टियों में रहे। वह अस्वस्थता के कारण अंतिम कुछ वर्षों में राजनीति में पूरी तरह सक्रिय नहीं थे।
दिग्गज समाजवादी नेता ने बृहस्पतिवार को गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। यादव को दिल्ली में उनके छतरपुर स्थित आवास पर अचेत होने के बाद अस्पताल ले जाया गया था। वह 75 वर्ष के थे।
शरद यादव के राजनीतिक करियर का उदय 70 के दशक में कांग्रेस विरोधी आंदोलन के दौरान हुआ। वर्ष 1974 था, यह कांग्रेस के खिलाफ विपक्ष के उम्मीदवार के रूप में मध्य प्रदेश के जबलपुर से उनकी लोकसभा उपचुनाव जीत थी जिसने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ अपनी राजनीतिक लड़ाई को धार दी। आपातकाल के बाद, उन्होंने 1977 में फिर से जीत हासिल की और आपातकाल विरोधी आंदोलन से निकलने वाले कई नेताओं में गिने गए।
शरद यादव 1989 में वी. पी. सिंह नीत सरकार में मंत्री थे। उन्होंने 90 के दशक के अंत में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार में भी मंत्री के रूप में कार्य किया। 1990 में बिहार के मुख्यमंत्री बने लालू प्रसाद यादव को एक समय उनका समर्थन प्राप्त था।
शरद यादव उन प्रमुख समाजवादी नेताओं में से थे जिन्होंने देश की राजनीति में अपनी अलग छाप छोड़ी। बिहार के मुख्यमंत्री और जद (यू) नेता नीतीश कुमार द्वारा 2013 में भारतीय जनता पार्टी से नाता तोड़ने का फैसला करने के पहले वह भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के संयोजक थे। बाद में उन्होंने अपनी पार्टी गठित की लेकिन स्वास्थ्य ठीक नहीं रहने से राजनीति में उतने सक्रिय नहीं थे। उन्होंने 2022 में अपनी पार्टी का राष्ट्रीय जनता दल में विलय कर लिया था।
भाषा इनपुट के साथ