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क्षीर भवानी यात्रा पर आतंकी हिंसा का साया: कश्मीरी पंडितों के संगठन का कार्यक्रम रद्द, जानिए पूरा मामला

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: June 2, 2022 12:44 IST

सोन कश्मीर के प्रधान शादीलाल पंडिता ने कहा कि जगती से चलने वाली निजी बसें अब नहीं जाएंगी। श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हमने कार्यक्रम टाल दिया है। शादी लाल पंडिता ने कहा कि कश्मीर में हिंदुओं को निशाना बनाने की घटनाएं बढ़ी हैं, इसलिए लोग काफी चिंतित हैं।

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ठळक मुद्देआतंकवाद के दौरान 1990 में कश्मीरी पंडितों की बड़ी आबादी कश्मीर से पलायन कर जम्मू में आ गई थी।इन लोगों को घाटी के तुलमुल्ला स्थित माता क्षीर भवानी मंदिर (राघेन्या माता मंदिर) से विमुख होना पड़ा था।

जम्मू: दो सालों से कोरोना पाबंदियों से जूझ रही तुलमुला में स्थित क्षीर भवानी की यात्रा पर अब बढ़ती आतंकी हिंसा का साया पड़ ही गया है। कश्मीरी पंडितों द्वारा आयोजित किए जाने वाले इस मेले में शिरकत करने से अब कश्मीरी पंडित डरने लगे हैं क्योंकि आतंकी धमकी उनके कदमों को रोकने लगी है। ज्येष्ठाष्टमी पर आठ जून को गांदरबल जिले के तुलमुला में क्षीर भवानी मेले का आयोजन किया जा रहा है। 

मेले में देशभर से कश्मीरी पंडित श्रद्धालु जुटते हैं और मां राघेन्या से घर वापसी की दुआ करते हैं। कोरोना के कारण दो साल से मेला नहीं हो पाया था।पर हिंसा ने अब कश्मीरी पंडितों के संगठन सोन कश्मीर को मजबूर किया है कि वे क्षीर भवानी मेले के लिए यात्रा को टाल दें। उनके संगठन ने छह जून से निजी बसों की व्यवस्था की थी। वहीं, प्रशासन ने साफ किया है कि मेले के आयोजन की पूरी तैयारी है। श्रद्धालुओं के लिए सभी इंतजाम किए गए हैं। प्रशासन द्वारा लगाई गई बसें सात जून को रवाना होंगी।

सोन कश्मीर के प्रधान शादीलाल पंडिता ने कहा कि जगती से चलने वाली निजी बसें अब नहीं जाएंगी। श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हमने कार्यक्रम टाल दिया है। शादी लाल पंडिता ने कहा कि कश्मीर में हिंदुओं को निशाना बनाने की घटनाएं बढ़ी हैं, इसलिए लोग काफी चिंतित हैं। पर कश्मीरी विस्थापितों के रिलीफ कमिश्नर ने साफ किया कि प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली है। इस बार क्षीर भवानी मेले में शामिल होने के लिए हमें 1500 लोगों से आवेदन मिले थे और इसके लिए हमने पहले 115 बसों का बंदोबस्त करने का फैसला लिया था। 

और जो लोग तुलमुला नहीं जा पाएंगे उन्होंने जम्मू के मंदिर की पूजा अर्चना के प्रति माता राघेन्या के स्थापना दिवस पर पूजा अर्चना करने का फैसला किया है। याद रहे मध्य कश्मीर के गंदरबल जिले के तुलमुल्ला में स्थित माता क्षीर भवानी मंदिर की तर्ज पर जम्मू में भी माता का मंदिर बनाया गया है। आतंकवाद के दौरान 1990 में कश्मीरी पंडितों की बड़ी आबादी कश्मीर से पलायन कर जम्मू में आ गई थी। 

इन लोगों को घाटी के तुलमुल्ला स्थित माता क्षीर भवानी मंदिर (राघेन्या माता मंदिर) से विमुख होना पड़ा था। जम्मू आए इन पंडितों ने तब तुलमुल्ला में स्थित ऐतिहासिक मंदिर की तर्ज पर ही जम्मू के भवानी नगर में माता क्षीर भवानी का मंदिर बनाया। तब से यहां भी कश्मीर की तरह हर साल ज्येष्ठाष्टमी पर मेला लगता है। हर वर्ष इसमें हजारों कश्मीरी पंडित भाग लेते हैं।

टॅग्स :जम्मू कश्मीरआतंकी हमलाआतंकवादी
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