तीन सदस्यीय जांच समिति के सामने पेश हुए प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई
By राजेन्द्र सिंह गुसाईं | Published: May 1, 2019 11:34 PM2019-05-01T23:34:45+5:302019-05-02T04:33:56+5:30
प्रधान न्यायाधीश को एक अनुरोध पत्र जारी कर उन्हें समिति के सामने आने को कहा गया था। उस अनुरोध पर वह इस मामले में समिति के सामने पेश आए।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई उच्चतम न्यायालय की एक पूर्व महिला कर्मी द्वारा उन पर लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच कर रही तीन सदस्यीय आतंरिक समिति के सामने पेश हुए।
प्रधान न्यायाधीश को एक अनुरोध पत्र जारी कर उन्हें समिति के सामने आने को कहा गया था। उस अनुरोध पर वह इस मामले में समिति के सामने पेश आए। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने वाली उच्चतम न्यायालय की एक पूर्व कर्मी ने मंगलवार को फैसला किया था कि आंतरिक जांच समिति के सामने अब और पेश नहीं होगी।
आरोप लगाने वाली महिला ने प्रक्रिया में सहभागी नहीं होने का विकल्प चुना हालांकि उसे इस कदम के परिणामों के बारे बताया गया था कि समिति एक-पक्षीय रूप से कार्यवाही कर सकती है। वह समिति के समक्ष तीन दिन पेश हुई थी। यह तथ्य कि समिति एक पक्षीय ढंग से आगे बढ़ सकती है और महिला को यह बात बता दी गई थी। इस पर महिला ने सहमति जताते हुए प्रक्रिया में भाग लेने से खुद को अलग कर लिया।
समर्थन में आसू: ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) के मुख्य सलाहकार समुज्जल कुमार भट्टाचार्य और संगठन के अध्यक्ष दीपांकर नाथ ने कुछ दिन पूर्व कहा था कि आरोप ऐसे समय में सामने आये हैं जब प्रधान न्यायाधीश कई अहम मामलों पर सुनवाई करने वाले हैं, जिनमें राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) का अद्यतन भी शामिल है। ये आरोप निराधार हैं। असम के लोगों, पूर्वोत्तर और पूरे देश की जनता को प्रधान न्यायाधीश की निष्ठा पर गर्व है। हमें उनमें पूरा भरोसा है। नाथ ने दावा किया था कि यह प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ साजिश है, जिनकी निष्ठा शंका से परे है। प्रधान न्यायाधीश असम से आते हैं।