बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का दिखा असर, चार सालों में लिंगानुपात में हुआ सुधार
By रजनीश | Updated: June 23, 2019 09:40 IST2019-06-23T09:40:08+5:302019-06-23T09:40:08+5:30
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की शुरूआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 जनवरी 2015 को पानीपत, हरियाणा में की थी। यह योजना तीन मंत्रालयों द्वारा कार्यान्वित की जा रही है। महिला और बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्रालय तथा मानव संसाधन मंत्रालय।

प्रतीकात्मक फोटो
ऑल इंडिया सेक्स रेशियो एट बर्थ (SRB) में 8 अंक की बढ़त हुई है। 2015-2016 में जहां प्रति 1000 लड़कों पर 923 लड़कियां थी वहीं यह आंकड़ा मार्च 2019 तक 931 पहुंच गया। केरल और छत्तीसगढ़ में यह गिनती 959 है। मिजोरम में 958 और गोवा में 954 है।
सेक्स रेशियो की लिस्ट में सबसे नीचे दमन और दीव है जहां प्रति हजार लड़कों पर सिर्फ 889 लड़कियां ही हैं। लक्ष्द्वीप में 891 और पंजाब में 900 लड़कियां प्रति हजार हैं।
साल 2015-16 में प्रति हजार लड़कों पर 923 लड़कियां थी जो 2016-17 में बढ़कर 926 पहुंच गई और 2017-18 में लड़कियों की संख्या 929 पहुंच गई। ये सभी आंकड़े महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (मिनिस्ट्री ऑफ वूमेन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट) द्वारा संसद में पेश किया गया। ये आंकड़े "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ" स्कीम से जुड़े एक सवाल के जवाब में दिए गए।
देशभर में 2017-18 से एसआरबी में सबसे ज्यादा वृद्धि अंडमान निकोबार आईलैंड में 51 प्वाइंट हुई। इस वृद्धि के बाद वहां लड़कियों की जन्मदर 897 से बढ़कर 948 हो गई। सिक्किम में 928 से बढ़कर यह संख्या 948 हो गई और तेलंगाना में 925 से बढ़कर 943 हो गई।
सभी जगह एसआरबी में वृद्धि हुई हो ऐसा नहीं है। अरुणाचल प्रदेश में इस संख्या में 42 प्वाइंट गिरावट देखने को मिली। यहां प्रति हजार लड़कों पर 956 लड़कियों की जगह अब 914 लड़कियां हैं। इसी तरह जम्मू कश्मीर में भी यह गिनती 958 से घटकर 943 हो गई है। तमिलनाडु में 947 से घटकर 936 लड़कियां हो गई। महाराष्ट्र में 940 से घटकर 930 लड़कियां हो गई।
केरला को छोड़कर 2018-19 में छत्तीसगढ़ ही ऐसा राज्य था जहां एसआरबी में सबसे ज्यादा वृद्धि देखी गई जहां प्रति हजार लड़कों पर 961 लड़कियां दर्ज हैं। 2017-18 की तुलना में केरला में भी एसआरबी की संख्या घटी है जो कि 2017-18 में 964 थी।
एसआरबी के 2015-16 और 2018-19 के आंकड़ों की तुलना करें तो 25 राज्यों में बढ़त हुई है और 11 राज्यों में गिरावट दर्ज की गई है। सबसे ज्यादा गिरावट सिक्किम और अरुणांचल प्रदेश में देखने को मिली। 25 राज्यों में जहां 2015-16 और 2018-19 के बीच एसआरबी में सबसे वृद्धि देखी गई उनमें लक्ष्यद्वीप में 832 से 59 प्वाइंट बढ़कर यह संख्या 891 हुई है।
अंडमान निकोबार आईलैंड में 890 से 58 प्वाइंट बढ़कर यह संख्या 948 हो गई है। गोवा में 918 से 36 प्वाइंट बढ़कर यह संख्या 954 हुई है। नागालैंड में 904 से 32 प्वाइंट बढ़कर यह संख्या 936 हुई है और उत्तराखंड में 906 से 32 प्वाइंट बढ़कर यह संख्या 938 हुई है।
हरियाणा जहां जनवरी 2015 में बीजेपी सरकार की बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ स्कीम लॉन्च हुई थी वहां सुधार देखने को मिला। हरियाणा में 2016 में जहां प्रति हजार लड़कों पर 887 लड़कियों का जन्म होता था वहीं 2017-18 और 2018-19 में यह संख्या बढ़कर 914 हुई है।