जम्मू-कश्मीर में अलगाववादियों पर कार्रवाई के बीच केंद्र ने अर्ध-सैनिक बलों की 100 और कंपनियां राज्य में भेजी है। गृह मंत्रालय की ओर से 'तत्काल' नोटिस के आधार पर शुक्रवार देर शाम 100 कंपनियों को हवाई रास्ते से श्रीनगर भेजा गया। इसमें सीआरपीएफ की 45, बीएसएफ की 35, एसएसबी की 10 और आईटीबीपी की 10 कंपनियां शामिल हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इसके बाद पूरी रात जम्मू-कश्मीर पुलिस और सुरक्षा बलों ने इन टुकड़ियों की अगले कुछ दिनों की तैनाती की योजना को लेकर चर्चा की।
दरअसल, पुलवामा हमले के बाद पैदा हुई परिस्थिति के बाद केंद्र सरकार ने कई अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा हटा दी है। इसके बाद शुक्रवार रात ही जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के अलगाववागदी नेता यासीन मलिक को हिरासत में लिया गया। हालांकि, इस पूरी कवायद के बीच राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने अपना विरोध जताया है।
महबूबा ने कहा है कि हुर्रियत नेताओं और जमात संगठनों के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया जाना उनकी समझ के परे है। महबूबा के अनुसार ऐसे कदम से स्थितियां और बिगड़ेंगी।
पुलवामा में पिछले हफ्ते हुए आतंकी हमले के बाद से ही जम्मू-कश्मीर में तनाव भरे हलात हैं। साथ ही भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों में तनाव भी चरम पर है। पुलवामा हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गये थे। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी।
यासिन मलिक को देर रात मायसूमा स्थित आवास से गिरफ्तार किया गया। इसके बाद घाटी में पूरी रात चली छापेमारी में जमात-ए-इस्लामी के करीब दर्जन भर अलगाववादी नेता भी हिरासत में लिये गये। इसमें जमात-ए-इस्लामी के मुखिया अब्दुल हामिद फयाज भी शामिल हैं।
यासिन की गिरफ्तारी अनुच्छेद 35-ए पर 26 से 28 फरवरी के बीच होने वाली अहम सुनवाई से पहले हुई है। यह अनुच्छेद 1954 में भारतीय संविधान का हिस्सा बना जिसके तहत जम्मू और कश्मीर के निवासियों को कुछ खास अधिकार दिये गये हैं।