'सुरक्षा गार्ड के परिवार को 50 लाख दें केंद्र और सफदरजंग अस्पताल', दिल्ली उच्च न्यायालय का निर्देश, जानें मामला

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 22, 2023 06:19 PM2023-10-22T18:19:43+5:302023-10-22T18:21:03+5:30

उच्च न्यायालय ने कहा कि केंद्र सरकार इतना संकीर्ण दृष्टिकोण नहीं अपना सकती है कि केवल ऐसे व्यक्ति को ही प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज (कोविड ​​-19 से मुकाबला करने वाले स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए बीमा योजना) के तहत कवर किया जाए, जो कोविड​​-19 वार्ड या केंद्र में तैनात थे।

Security guard died while on Covid-19 duty Delhi High Court directs Center release Rs 50 lakh | 'सुरक्षा गार्ड के परिवार को 50 लाख दें केंद्र और सफदरजंग अस्पताल', दिल्ली उच्च न्यायालय का निर्देश, जानें मामला

(फाइल फोटो)

Highlightsदिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र और सफदरजंग अस्पताल को दिया निर्देश सुरक्षा गार्ड की पत्नी को 50 लाख रुपये जारी करने का निर्देशकोविड​​-19 महामारी के वक्त ड्यूटी के दौरान मृत्यु हो गई थी

नई दिल्ली:  दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र और सफदरजंग अस्पताल को अस्पताल में तैनात उस सुरक्षा गार्ड की पत्नी को 50 लाख रुपये जारी करने का निर्देश दिया है, जिसकी कोविड​​-19 महामारी के वक्त ड्यूटी के दौरान मृत्यु हो गई थी। उच्च न्यायालय ने कहा कि केंद्र सरकार इतना संकीर्ण दृष्टिकोण नहीं अपना सकती है कि केवल ऐसे व्यक्ति को ही प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज (कोविड ​​-19 से मुकाबला करने वाले स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए बीमा योजना) के तहत कवर किया जाए, जो कोविड​​-19 वार्ड या केंद्र में तैनात थे।

न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि महामारी के दौरान, लोग अपनी जांच कराने के लिए अस्पतालों में भीड़ लगा रहे थे और उस समय, ये सुरक्षा गार्ड, पैरामेडिकल कर्मी ही थे, जिन्होंने न केवल अस्पतालों की सुरक्षा सुनिश्चित की, बल्कि मरीजों को सही जगह जाने का मार्गदर्शक करने का काम भी किया। उच्च न्यायालय ने कहा, ‘इसलिए, यह नहीं कहा जा सकता है कि विभिन्न स्थानों पर तैनात सुरक्षा गार्ड कोविड​​-19 रोगियों के सीधे संपर्क में नहीं थे। यह सर्वविदित है कि कोविड-19 वायरस हवा के माध्यम से फैलता है और हो सकता था कि अस्पताल आने वाला कोई भी मरीज इस वायरस से संक्रमित हो, चाहे उसमें लक्षण हों या नहीं। मरीज कई सेवा प्रदाताओं के संपर्क में आए, चाहे वे सुरक्षा गार्ड हों, नर्स हों, पैरामेडिकल कर्मी हों, जो कोविड​​-19 वार्ड में तैनात हो भी सकते थे और नहीं भी।’

अदालत ने केंद्र की इस दलील को मानने से इनकार कर दिया कि याचिकाकर्ता संगीता वाही के पति दिलीप कुमार को कोविड-19 रोगियों की देखभाल के लिए तैनात नहीं किया गया था और वह ऐसे रोगियों के सीधे संपर्क में नहीं थे, इसलिए उन्हें ऐसी योजना के अंतर्गत कवर नहीं किया जाएगा। दिलीप कुमार की जून 2020 में मृत्यु हो गई थी। उच्च न्यायालय ने कहा, "केंद्र सरकार द्वारा अपनाए गए संकीर्ण रुख को स्वीकार नहीं किया जा सकता है और याचिकाकर्ता 'प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज: कोविड​​-19 से मुकाबला करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों के लिए बीमा योजना' के लाभ की हकदार है।"

अदालत ने कहा, ‘यह योजना वास्तव में उन व्यक्तियों के परिवार के सदस्यों को लाभ पहुंचाने के उपाय के रूप में लाई गई थी, जिन्होंने कोविड​​-19 महामारी से प्रभावित हजारों व्यक्तियों की रक्षा करते हुए अपनी जान गंवा दी थी। इस तरह का संकीर्ण दृष्टिकोण रखना वास्तव में उस योजना की भावना के खिलाफ है, जिसका उद्देश्य उन लोगों को तत्काल राहत प्रदान करना था जो (विषम) स्थिति से निपट रहे थे और हजारों रोगियों के जीवन की रक्षा कर रहे थे।’

अदालत उस महिला की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसने केंद्र सरकार द्वारा घोषित बीमा पैकेज और दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा उन कर्मचारियों के परिवारों के लिए एक करोड़ रुपये की अनुग्रह राशि देने के लिए घोषित योजना के लाभ का अनुरोध किया था, जिनकी मृत्यु कोविड-19 ड्यूटी के दौरान कोरोना वायरस से हुई थी। दिल्ली सरकार ने अदालत के समक्ष कहा कि यह योजना केवल उन कर्मचारियों के परिवारों पर लागू होगी, जो राज्य सरकार द्वारा नियोजित थे और चूंकि गार्ड को केंद्र सरकार द्वारा अनुबंध के आधार पर नियुक्त किया गया था, इसलिए उसका मामला इसके तहत नहीं आएगा। अदालत ने कहा कि दिल्ली सरकार के रुख में बदलाव आया है, जिसने अपनी योजना का दायरा केवल उन लोगों तक सीमित कर दिया है, जिन्हें राज्य सरकार द्वारा तैनात किया गया था।

अदालत ने कहा कि चूंकि दिलीप कुमार दिल्ली सरकार द्वारा नियोजित नहीं थे, इसलिए वह एक आदेश पारित करके लाभ प्रदान करने का इच्छुक नहीं हैं। अदालत ने हालांकि, कहा कि दिल्ली सरकार के जुलाई 2020 के एक परिपत्र में कहा गया है कि संबंधित प्रशासनिक विभाग मरणोपरांत एक करोड़ रुपये की अनुग्रह राशि के भुगतान के लिए नाम आवश्यक दस्तावेजों के साथ भेज सकते हैं। उच्च न्यायालय ने कहा, ‘इसलिए, सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक को याचिकाकर्ता के दिवंगत पति के दस्तावेज दिल्ली सरकार को भेजने का निर्देश दिया जाता है और इन दस्तावेजों के प्राप्त होने पर, दिल्ली सरकार को याचिकाकर्ता के दिवंगत पति के मामले की इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए सहानुभूतिपूर्वक पड़ताल करने का निर्देश दिया जाता है कि उन्होंने ड्यूटी पर रहते हुए अपनी जान गंवाई है।’ इसने केंद्र, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक और सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक को आठ सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता महिला के पक्ष में 50 लाख रुपये की राशि जारी करने का निर्देश दिया। 

(इनपुट- एजेंसी)

Web Title: Security guard died while on Covid-19 duty Delhi High Court directs Center release Rs 50 lakh

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