सुप्रीम कोर्ट के बाहर मंगलवार सुबह धारा 144 लगा दी गई। रिपोर्ट्स के अनुसार चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न मामले के निपटारे के लिए जो प्रक्रिया अपनाई गई, उसे लेकर कई वकील और महिलाएं प्रदर्शन कर रही थीं। पुलिस ने इस दौरान कई प्रदर्शनारियों को हिरासत में लिया और उन्हें मंदिर मार्ग पुलिस स्टेशन ले जाया गया।
इसके बाद यहां धारा 144 लगाने का फैसला लिया गया। जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली 3 सदस्यीय जांच समिति ने सोमवार को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों में उन्हें क्लीन चिट दे दी थी।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व महिला कर्मचारी ने अपने आरोपों में कहा था कि सीजेआई ने उनका उत्पीड़न किया था। इन आरोपों की जांच के लिए जस्टिस एसए बोबडे की अगुवाई में आतंरिक जांच कमेटी का गठन किया गया था। इस समिति में जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस इंदिरा बनर्जी भी शामिल थीं।
तीन सदस्यी आंतरिक जांच समिति ने कहा कि उसे महिला की ओर से चीफ जस्टिस के खिलाफ लगाए गए आरोपों में कुछ दम नहीं नजर आया। समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल के कार्यालय ने कहा है कि जस्टिस एस. ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जाएगी।
क्या है मामला
महिला ने चीफ जस्टिस गोगोई पर आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट के 22 जजों को हलफनामा भेजा था। बाद में शीर्ष कोर्ट में तीन सदस्यीय विशेष पीठ ने इस मामले की सुनवाई की थी। चीफ जस्टिस ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ साजिश बताया था। उन्होंने कहा था कि शिकायत करने वाली महिला के पीछे कुछ बड़ी ताकतें खड़ी हैं जो शीर्ष कोर्ट को अस्थिर करना चाहती हैं।