यूपी विधानसभा चुनावः सपा और रालोद गठबंधन ने टिकट बेचे, जयंत और अखिलेश पर कई आरोप, मसूद अहमद का इस्तीफा
By भाषा | Published: March 20, 2022 04:10 PM2022-03-20T16:10:08+5:302022-03-20T16:13:02+5:30
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘अखिलेश ने जिसको जहां मर्जी आई धन संकलन करते हुए टिकट दिए जिससे गठबंधन बिना बूथ अध्यक्षों के चुनाव लड़ने पर मजबूर हुआ।"
लखनऊः राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष मसूद अहमद ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी को लिखे पत्र में समाजवादी पार्टी (सपा) और रालोद गठबंधन नेतृत्व द्वारा तानाशाही रवैया अपनाते हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी के टिकट बेचे जाने समेत कई गंभीर आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया।
मसूद ने जयंत चौधरी को लिखे पत्र में सपा और रालोद के गठबंधन के टिकट बेचे जाने का आरोप लगाया। उन्होंने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘अखिलेश ने जिसको जहां मर्जी आई धन संकलन करते हुए टिकट दिए जिससे गठबंधन बिना बूथ अध्यक्षों के चुनाव लड़ने पर मजबूर हुआ।"
UP | People in the alliance fought with each other over seat distribution instead of fighting against the BJP. Due to mistakes of our leaders, we couldn't win. Money was asked on many seats including Hapur, Bikapur: RLD state president Dr Masood Ahmed on his resignation pic.twitter.com/80Cpl7SxlS
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) March 19, 2022
मसूद ने जयंत और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर तानाशाह की तरह काम करने का आरोप लगाते हुए कहा, "उदाहरण के तौर पर स्वामी प्रसाद मौर्य को बिना सूचना के फाजिलनगर भेजा गया और वह चुनाव हार गए। अखिलेश और आपने (जयंत) डिक्टेटर (तानाशाह) की तरह कार्य किया जिससे गठबंधन को हार का मुंह देखना पड़ा।
मेरा यह सुझाव है कि जब तक अखिलेश जी बराबर का सम्मान नहीं देते तब तक इस गठबंधन को स्थगित कर दिया जाए।" उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘विधानसभा चुनाव में टिकटों की बिक्री की गई। धन संकलन की कोशिश में प्रत्याशियों का ऐलान समय रहते नहीं हुआ और बिना तैयारी के चुनाव लड़ा गया। सभी सीटों पर लगभग आखिरी दिन पर्चा भरा गया। किसी भी प्रत्याशी को यह नहीं बताया गया कि कौन कहां से चुनाव लड़ेगा। कीमती समय में सभी कार्यकर्ता आप तथा अखिलेश जी के चरणों में पड़े रहे और चुनाव की कोई तैयारी नहीं हो पाई।"
मसूद ने आरोप लगाया कि उनके कई बार चेतावनी देने के बाद भी आज समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर रावण को अपमानित किया गया जिससे नाराज होकर दलित वोट सपा-रालोद गठबंधन से कटकर भाजपा के पास चला गया, जिसका खामियाजा गठबंधन को भुगतना पड़ा।
उन्होंने जयंत और सपा अध्यक्ष अखिलेश पर आरोप लगाते हुए पत्र में कहा है, "आपने तथा अखिलेश ने सुप्रीमो कल्चर अपनाते हुए संगठन को दरकिनार कर दिया। लालू (राजद नेता लालू प्रसाद यादव) तथा सपा के नेताओं का चुनाव प्रचार में उपयोग नहीं किया गया।
पार्टी के समर्पित पासी तथा वर्मा (दोनों जातियां) नेताओं का इस्तेमाल नहीं किया गया जिससे चुनाव में उनकी बिरादरी का वोट गठबंधन से छिटक गया।" मसूद ने अपने पत्र को अपना त्यागपत्र भी बताया और आरोप लगाया कि जौनपुर सदर जैसी सीटों पर पर्चा भरने के आखिरी दिन तीन-तीन बार टिकट बदला गया। एक-एक सीट पर सपा के तीन-तीन उम्मीदवार हो गए।
इससे जनता में गलत संदेश गया। नतीजा यह हुआ कि कम से कम 50 सीटों पर गठबंधन 200 से लेकर 10,000 मतों के अंतर से हार गया। गौरतलब है कि हाल में संपन्न राज्य विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को 111 और राष्ट्रीय लोक दल को आठ सीटें ही हासिल हुई थीं। जाटलैंड में प्रभावी माने जाने वाले राष्ट्रीय लोकदल को पश्चिमांचल में भी खास कामयाबी नहीं मिल सकी।