एससी-एसटी एक्ट: सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अध्यादेश सहित कई विकल्पों पर विचार कर रही मोदी सरकार

By भाषा | Published: April 15, 2018 04:33 PM2018-04-15T16:33:19+5:302018-04-15T16:33:19+5:30

सरकार के भीतर विभिन्न स्तरों पर चल रही बातचीत की जानकारी रखने वाले सूत्रों का कहना है कि वास्तविक प्रावधानों को बहाल करने के लिए अध्यादेश लाए जाने से रोष शांत होगा।

SC-ST Act: The Central Government considering various options including the Ordinance on the Supreme Court verdict | एससी-एसटी एक्ट: सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अध्यादेश सहित कई विकल्पों पर विचार कर रही मोदी सरकार

एससी-एसटी एक्ट: सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अध्यादेश सहित कई विकल्पों पर विचार कर रही मोदी सरकार

नई दिल्ली, 15 अप्रैल। केंद्र सरकार महसूस करती है कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण कानून पर आए उच्चतम न्यायालय के फैसले को पलटे जाने की आवश्यकता है और कानून के वास्तविक प्रावधानों को बहाल करने के लिए अध्यादेश लाया जाना उन विकल्पों में से एक है जिन पर विचार किया जा रहा है। 

सरकार के भीतर विभिन्न स्तरों पर चल रही बातचीत की जानकारी रखने वाले सूत्रों का कहना है कि वास्तविक प्रावधानों को बहाल करने के लिए अध्यादेश लाए जाने से रोष शांत होगा। सूत्रों ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले को पलटने के लिए अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण कानून 1989 में संशोधन के वास्ते जुलाई में संसद के मानसून सत्र में विधेयक लाया जाना भी सरकार के सामने दूसरा विकल्प है। 

एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा , ‘‘ यदि अध्यादेश जारी किया जाता है , तो इसे भी विधेयक में तब्दील किया जाना और संसद में पारित कराना होगा। वास्तविक प्रावधानों को बहाल करने के लिए दोनों ही कदमों का परिणाम एक है। लेकिन अध्यादेश का लाभ त्वरित परिणाम के रूप में होता है। यह रोष को तत्काल शांत करने में मदद करेगा। ’’ 

दलित संगठनों ने उच्चतम न्यायालय के 20 मार्च के फैसले के जरिए कानून को कथित तौर पर हल्का किए जाने के खिलाफ दो अप्रैल को प्रदर्शन किए थे। कई स्थानों पर प्रदर्शन हिंसक हुए थे जिसमें कई लोग मारे गए थे। विपक्षी दलों ने सरकार पर दलित रक्षा अधिकारों की रक्षा कर पाने में विफल रहने का आरोप लगाया था। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को आश्वस्त किया था कि उनकी सरकार अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति समुदायों पर अत्याचार रोकने वाले कानून को हल्का नहीं होने देगी। उन्होंने कहा था , ‘‘ मैं देश को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हमारे द्वारा कठोर बनाए कानून को ( न्यायालय के फैसले से ) प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा। ’’ 

लेकिन सूत्रों ने कहा कि अभी तक कोई फैसला नहीं किया गया है और काफी कुछ सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा दायर की गई पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के तरीके पर निर्भर करेगा। 

उन्होंने कहा कि क्योंकि हो सकता है कि पुनर्विचार याचिका का तत्काल परिणाम नहीं आए और न्यायालय का फैसला अनुकूल न हो , तो ऐसे में सरकार को आगे की कार्रवाई को लेकर अपने रुख पर मजबूत रहना होगा। 

अनुसूचित जाति / जनजाति अत्याचार निवारण कानून को लेकर शीर्ष अदालत ने पुलिस अधिकारियों के लिए इस बारे में नए दिशा - निर्देश तैयार किए थे कि निर्दोष लोगों , खासकर सरकारी अधिकारियों को कानून के तहत झूठी शिकायतों से किस तरह रक्षा प्रदान की जाए। 

केंद्र ने शुक्रवार को न्यायालय में दायर अपने लिखित अभिवेदन में कहा कि अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण कानून पर फैसले से इसके कड़े प्रावधान ‘‘ हल्के ’’ हुए हैं जिससे गुस्सा पैदा होने और लोगों के बीच सौहार्द की समझ बिगड़ने से देश को ‘‘ बड़ा नुकसान ’’ हुआ है। 

सरकार का रुख न्यायालय द्वारा अपने फैसले पर स्थगन से इनकार किए जाने के एक सप्ताह बाद आया है। न्यायालय ने स्थगन से इनकार करते हुए कहा था कि लगता है कि उसके फैसले के खिलाफ आंदोलन कर रहे लोगों ने फैसले को सही से नहीं पढ़ा है या ‘‘ निहित स्वार्थों ’’ से उन्हें गुमराह किया गया है। 

Web Title: SC-ST Act: The Central Government considering various options including the Ordinance on the Supreme Court verdict

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