SC का सरकार को निर्देश, सरकारी खाली इमारतों को बनाएं रैन बसेरा

By ऐश्वर्य अवस्थी | Updated: February 9, 2018 23:24 IST2018-02-09T21:10:35+5:302018-02-09T23:24:04+5:30

केंद्र और राज्य सरकारों की कोशिशों के बाद भी 17 लाख से ज्यादा शहरी बेघरों के लिए सिर छुपाने से बंचित हैं। सराकर इन लोगों को सिर छुपाने के लिए छत देने में नाकामयाब है।

SC says convert government buildings into night-shelters | SC का सरकार को निर्देश, सरकारी खाली इमारतों को बनाएं रैन बसेरा

SC का सरकार को निर्देश, सरकारी खाली इमारतों को बनाएं रैन बसेरा

केंद्र और राज्य सरकारों की कोशिशों के बाद भी  17 लाख से ज्यादा शहरी बेघरों के लिए सिर छुपाने से बंचित हैं। सराकर इन लोगों को सिर छुपाने के लिए छत देने में नाकामयाब है। ऐसे में अब सुप्रीम कोर्ट इनकी मदद के लिए आगे आया है। हाल ही नें सरकार से सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि  बेघरों के लिए नए नाइट शेल्टर्स बनाने के बजाए, क्यों न खाली पड़े सरकारी घरों और इमारतों को इसके लिए इस्तेमाल किया जाए। 

जस्टिस मदन बी लोकुर और दीपक गुप्ता की डबल बेंच  में सरकार से सवाल किए गए हैं। उनसे कहा गया है कि सरकार का  बेघरों को आसरा देने का ये सबसे अच्छा तरीका हो सकता है, क्योंकि सरकारों को नए घर या शेल्टर होम बनाने में पैसा खर्च नहीं करना पड़ेगा। 

2011 की जनगणना के मुताबिक

2011 में हुई जनगणना के मुताबिक देश में अभी भी 17.73 लाख बेघर लोग हैं, जिसमें से दस लाख शहरों में रहते हैं। इसी रिपोर्ट के मुताबिक देश में हर एक लाख लोगों में से 146 बेघर हैं। वहीं ग्रामीण भारत की बात करें तो ये आंकड़ा एक लाख की आबादी पर 100 है। वहीं शहरी भारत में तो वाकई ये आंकड़ा काफी ज्यादा है। यहां एक लाख लोगों की आबादी पर 249 लोग बेघर हैं।

सरकार की पहल

2013 में बेघर लोगों को आसरा देने के इरादे से राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन की शुरुआत सरकार ने की थी। जिसमें शहरी क्षेत्रों में रह रहे बेघरों को सिर छुपाने की जगह मिलना था। मगर दो हजार करोड़ खर्च होने के बाद भी शहरी बेघरों की स्थिति में सुधार नहीं हुआ है और आज भी लोग सर्दी गर्मी में फुटपात पर सोने को मजबूर हैं।

राज्य सरकारों को कमेटी बनाने के निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में रैन बसेरे या शेल्टर होम्स बनाने के लिए एक कमेटी बनाने के निर्देश भी दिए हैं। 13 राज्यों ने कोर्ट की हात को मानते हुए कमेटी में शामिल होने वाले नामों को पेश किया है। वहीं, अभी भी करीब 16 राज्यों ने कमेटी के सदस्यों के बारे में नहीं बताया है। इसके लिए इन राज्यों ने चार हफ्ते का वक्त मांगा है।

वहीं राज्यों में रैन बसेरों की स्थिति जानने के लिए अलग से बनी तीन सदस्यीय कमेटी के अध्यक्ष रिटायर्ड जस्टिस कैलाश गंभीर ने भी सुप्रीम कोर्ट में अपनी जो रिपोर्ट सौंपी है। इस रिपोर्ट के मुताबिक राज्य सरकारें केंद्र द्वारा भेजी गई राशि का इस्तेमाल नहीं कर रही हैं। जिस कारण से बेघरों को रहने का आसरा नहीं मिल पा रहा है और वह सड़क पर रात गुजारने को मजबूर हैं। वहीं,  केवल दिल्ली और मणिपुर ने बेघरों को आसरा देने का काम अच्छे से किया है। बाकी राज्य इस मामले में काफी पीछे हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक देश में दिल्ली बेघरों को आसरा देने के मामले में अव्वल है। 

Web Title: SC says convert government buildings into night-shelters

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