सुप्रीम कोर्ट में महिलाओं के प्रजनन और गर्भपात के अधिकार को लेकर याचिका दाखिल, कोर्ट ने केन्द्र सरकार को भेजा नोटिस

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 15, 2019 01:33 PM2019-07-15T13:33:12+5:302019-07-15T13:33:12+5:30

2014 के मसौदा संशोधन के प्रस्ताव के संदर्भ में ‘गर्भ का चिकित्सकीय समापन अधिनियम, 1971’ के प्रावधानों में कब बदलाव किया जायेगा। मौजूदा कानून के मुताबिक 20 सप्ताह से अधिक के गर्भ के समापन की अनुमति नहीं है।

SC issues notice to the Centre, agrees on a PIL by three women seeking direction to decriminalise abortion | सुप्रीम कोर्ट में महिलाओं के प्रजनन और गर्भपात के अधिकार को लेकर याचिका दाखिल, कोर्ट ने केन्द्र सरकार को भेजा नोटिस

प्रतीकात्मक तस्वीर

Highlights फिलहाल गर्भपात कराने की समय-सीमा 20 सप्ताह है।पिछले काफी वक्त से प्रजनन और गर्भपात को लेकर महिलाओं के अधिकारों पर चर्चा की जा रही है।

किसी गर्भवती महिला या उसके गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य को कोई खतरा होने की स्थिति में गर्भपात कराने की समय-सीमा बढ़ाकर 24 या 26 हफ्ते करने की अनुमति से संबंधित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की।  तीन महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। जिसमें उन्होंने मांग की थी कि गर्भपात को अपराधीकरण से बाहर किया जाना चाहिए। जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर दिया है। फिलहाल गर्भपात कराने की समय-सीमा 20 सप्ताह है। याचिका में यह अनुरोध किया गया है कि अविवाहित महिलाओं और विधवाओं को भी कानून के तहत वैधानिक गर्भपात की अनुमति मिलनी चाहिए। इस याचिका में मेडिकल टर्मीनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्‍ट में बदलाव की मांग भी की गई है। 

पिछले काफी वक्त से प्रजनन और गर्भपात को लेकर महिलाओं के अधिकारों पर चर्चा की जा रही है। कुछ समय पहले एक यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सुप्रीम कोर्ट के चच न्यायमूर्ति एके सीकरी ने कहा था कि बच्चे पैदा करना या गर्भधारण रोकना ये सब महिलाओं की पसंद पर निर्भर है और इसपर उनका पूरा अधिकार है। 

सामाजिक कार्यकर्ता और वकील अमित साहनी की ओर से दायर याचिका में स्वास्थ्य मंत्रालय एवं कानून मंत्रालय को इस संबंध में निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। याचिका में दोनों मंत्रालयों को अदालत को यह बताने का निर्देश देने की मांग की गई है कि 2014 के मसौदा संशोधन के प्रस्ताव के संदर्भ में ‘गर्भ का चिकित्सकीय समापन अधिनियम, 1971’ के प्रावधानों में कब बदलाव किया जायेगा। मौजूदा कानून के मुताबिक 20 सप्ताह से अधिक के गर्भ के समापन की अनुमति नहीं है। गर्भ का चिकित्सकीय समापन अधिनियम, 1971 की धारा 3 (2) (बी) 20 सप्ताह के गर्भावस्था के बाद भ्रूण के गर्भपात से रोकता है।  (पीटीआई इनपुट के साथ) 

Web Title: SC issues notice to the Centre, agrees on a PIL by three women seeking direction to decriminalise abortion

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