सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (03 मार्च) को सामाजिक कार्यकर्ताओं हर्ष मंदर और अंजलि भारद्वाज की ओर से दायर की गई याचिका पर सुनवाई की है। इस दौरान शीर्ष अदालत ने देश की नरेंद्र मोदी सरकार को नोटिस जारी कर सात अप्रैल तक जवाब मांगा है। दरअसल, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने याचिका में मांग की है कि प्रवासी श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी के भुगतान के लिए तत्काल निर्देश दिए जाएं। कोरोना वायरस के चलते 21 दिनों के लिए देश को लॉकडाउन करसे से मजदूर प्रभावित हुए हैं।
वहीं, सरकार की ओर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस एल नागेश्वर राव और दीपक गुप्ता की एक बेंच से कहा कि घरों में आराम से बैठे कार्यकर्ताओं के पीआईएल दायर करने के दरवाजे बंद किया जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार श्रमिकों की बुनियादी जरूरतों को देख रही है।
इससे पहले मजदूरों के पलायन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 'भय एवं दहशत' कोरोना वायरस से बड़ी समस्या बनती जा रही है। शीर्ष न्यायालय ने इन लोगों के पलायन को रोकने के लिए उठाये जा रहे कदमों के बारे में केंद्र से मंगलवार तक रिपोर्ट देने को कहा था।
पीठ ने कामगारों के पलायन से उत्पन्न स्थिति को लेकर अधिवक्ता अलख आलोक श्रीवास्तव और रश्मि बंसल की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कहा था कि वह इस मामले में वह केन्द्र की स्थिति रिपोर्ट का इंतजार करेगी। इन याचिकाओं में 21 दिन के देशव्यापी कोरोना वायरस लॉकडाउन की वजह से बेरोजगार होने वाले हजारों प्रवासी कामगारों के लिये खाना, पानी, दवा और समुचित चिकित्सा सुविधाओं जैसी राहत दिलाने का अनुरोध किया गया था।
आपको बता दें, देश में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामले बढ़कर 2,301 हो गए हैं और इससे करीब 56 लोगों की मौत हो चुकी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि देश में कोविड-19 के 2,088 मरीजों का उपचार किया जा रहा है जबकि 156 लोगों का या तो उपचार हो चुका है या उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी जा चुकी है और एक व्यक्ति दूसरे देश चला गया है। वायरस से संक्रमित हुए कुल 2,301 मामलों में 55 विदेशी नागरिक हैं।