सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को तमिलनाडु के कोयम्बटूर में एक 10 साल की बच्ची की गैंगरेप और हत्या और उसके 7 साल के भाई की हत्या के दोषी मनोहरन की पुनर्विचार याचिका खारिज करते हुए उसका मौत की सजा बरकरार रखी है।
जस्टिस आरएफ नरीमन की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय बेंच ने एक के मुकाबले दो के बहुमत से फैसला सुनाते हुए कहा कि दोषी मनोहरन की मौत की सजा को बरकरार रखने वाले फैसले की समीक्षा का कोई आधार नहीं है।
जस्टिस नरीमन और जस्टिस सूर्यकांत ने पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी जबकि जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि केवल सजा के बिंदु पर उनका विचार अलग है। पीठ ने कहा, 'बहुमत के फैसले के मद्देनजर पुनरीक्षण याचिका पूरी तरह खारिज की जाती है।'
इससे पहले इस साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस आरएफ नरीमन, संजीव खन्ना और सूर्य कांत की तीन सदस्यीय पीठ ने मनोहरन को 2014 में ट्रायल कोर्ट द्वारा मौत की सजा देने और फिर हाई कोर्ट द्वारा भी उसे बरकरार रखने को सही ठहराते हुए उसकी मौत की सजा के फैसले को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने मनोहरन के कृत्य को दुर्लभ में से दुर्लभतम (रेयरेस्ट ऑफ रेयर) बताते हुए उसकी मौत की सजा बरकरार रखी थी।
मनोहरन और उसके साथी ने की थी 10 साल की लड़की का गैंगरेप और हत्या
मनोहरन और उसके साथी मोहनकृष्णनन (बाद में पुलिस एनकाउंटर में मारा गया था) ने 29 अक्टूबर 2010 को स्कूल जाते समय इस लड़की और उसके 7 साल के भाई को एक मंदिर के बाहर से उठा लिया था।
उन्होंने दोनों नाबालिग भाई-बहन के हाथ पैर बांध दिए थे और दोनों को जहर देकर मारने की कोशिश से पहले लड़की के साथ गैंगरैप किया था।
जब वे दोनों जहर से नहीं मरे तो दोषियों ने उनके हाथ-पैर बांधकर उन्हें नहर में फेंक दिया था, जहां वे दोनों डूब गए थे।
(PTI इनपुट्स के साथ)