"जैसे तालिबान और अलकायदा अपने विरोधियों को खत्म....," विपक्ष के खिलाफ ईडी-सीबीआई की कार्रवाई पर संजय राउत बोले
By रुस्तम राणा | Published: March 6, 2023 03:13 PM2023-03-06T15:13:43+5:302023-03-06T15:13:43+5:30
केंद्रीय जांच एजेंसी के इस्तेमाल को लेकर राउत ने सोमवार को कहा कि जिस तरह से तालिबान और अल-कायदा अपने विरोधियों को खत्म करने के लिए हिंसा का इस्तेमाल करते हैं, उसी तरह सरकार ईडी और सीबीआई का इस्तेमाल कर रही है।
मुंबई: शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता संजय राउत ने मोदी सरकार की तुलना आतंकी संगठन अलकायदा और तालिबान से की है। केंद्रीय जांच एजेंसी के इस्तेमाल को लेकर राउत ने सोमवार को कहा कि जिस तरह से तालिबान और अल-कायदा अपने विरोधियों को खत्म करने के लिए हिंसा का इस्तेमाल करते हैं, उसी तरह सरकार ईडी और सीबीआई का इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ईडी और सीबीआई के माध्यम से भारत के लोगों को आतंकित कर रही है, जो एक तरह की तानाशाही है।
उद्धव ठाकरे गुट के अहम नेता का यह बयान उस पत्र के एक दिन बाद आया है जिसे विपक्ष की विभिन्न पार्टियों के 9 नेताओं ने संयुक्त रूप से मिलकर पीएम मोदी को केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग को लेकर लिखा है। राउत ने यहां संवाददाताओं से कहा, "जिस तरह से तालिबान और अल-कायदा जैसे लोग अपने विरोधियों को खत्म करने के लिए अपने हाथों में हथियार उठाते हैं, उसी तरह यह सरकार अपने विरोधियों को खत्म करने के लिए ईडी-सीबीआई जैसे हथियारों का इस्तेमाल कर रही है।"
राउत ने आरोप लगाया कि जिस तरह से वे (केंद्र सरकार) अपने विरोधियों के खिलाफ ईडी-सीबीआई के छापे का इस्तेमाल कर हमें "आतंकित" करते हैं, वह "फासीवाद से अधिक है।" राउत ने कहा, ''इसीलिए कल मुख्य विपक्षी दलों के नौ प्रमुख नेताओं ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर उनके सामने यह मामला रखा।'' शिवसेना नेता ने हालांकि कहा कि पत्र की जरूरत नहीं थी क्योंकि पीएम मोदी को पहले से ही इस सब की जानकारी थी। राउत ने आरोप लगाया, "ये छापे पीएम मोदी के आदेश पर हो रहे हैं।"
इससे पहले रविवार को आठ राजनीतिक दलों के नौ नेताओं ने आबकारी नीति मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी पर पीएम मोदी को पत्र लिखा था और आरोप लगाया था कि केंद्रीय एजेंसियों के "दुरुपयोग" से पता चलता है कि देश लोकत्र से एक निरंकुशता में बदल चुका है। नेताओं ने आरोप लगाया कि विपक्षी नेताओं के मामलों को दर्ज करने या गिरफ्तार करने का समय "चुनावों के साथ मेल खाता था" जिससे यह स्पष्ट होता है कि की गई कार्रवाई "राजनीति से प्रेरित" थी।