सबरीमाला मंदिर में दो महिलाओं ने भगवान अयप्पा के दर्शन किए हैं। भारतीय इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है। सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 4:1 के बहुमत के फैसले से सभी आयु वर्ग की महिलाओं को सबरीमला स्थित अयप्पा स्वामी मंदिर में प्रवेश की अनुमति दे दी थी।
महिलाओं ने बनाया 620 किलोमीटर लंबी 'चेन
लैंगिक समानता और समान मूल्यों को बनाए रखने के लिए राज्य द्वारा प्रायोजित ‘वीमेन वॉल‘ अभियान में विभिन्न वर्गों की लाखों महिलाओं ने हिस्सा लिया।
इस दौरान उत्तरी सिरे कासरगोड से दक्षिणी छोर तक महिलाओं की करीब 620 किलोमीटर लंबी एक श्रृंखला (चेन) बनाई गई। राज्य की स्वास्थ्य मंत्री के शैलाजा इसका नेतृत्व करेंगी और माकपा की वरिष्ठ नेता वृंदा करात इस श्रृंखला में आखिरी महिला थी।
माकपा-एलडीएफ नेतृत्व वाली सरकार के उच्चतम न्यायालय द्वारा अयप्पा मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की अनुमति देने के फैसले के बाद शुरू हुए विरोध प्रदर्शन की पृष्ठभूमि में ‘वीमेन वॉल’ अभियान का आयोजन किया गया।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर को सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं को प्रवेश करने के आदेश दिए थे। इस मंदिर में महिलाओं के प्रवेश ना करने के नियम को पिछले 800 सौ सालों से माना जा रहा था। सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश पर रोक था।
ये था सबरीमाला मंदिर में प्रवेश का पुराना नियम
सबरीमाला मंदिर की ओर से जारी किए गए आदेश में कहा गया था कि 10 वर्ष से लेकर 50 वर्ष तक की महिलाएं मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकती हैं। जिन महिलाओं की उम्र 50 से अधिक है वह दर्शन के लिए आते वक्त अपने साथ आयु प्रमाण पत्र लेकर आए।