अनुभवी नौकरशाह और पूर्व विदेश सचिव एस जयशंकर ने शुक्रवार(31 मई) को देश के नए विदेश मंत्री का कार्यभार संभाल लिया। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपना कार्यभार संभालने के बाद अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल पर अपना पहला ट्वीट किया। इस ट्वीट में एस जयशंकर ने पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की तारीक की। एस जयशंकर ने लिखा है कि वह सुषमा स्वराज के पद चिन्हों पर चलेंगे। पूर्व विदेश सचिव को कैबिनेट में शामिल कर पीएम नरेंद्र मोदी ने सबको चौंका दिया है।
एस जयशंकर ने ट्वीट में लिखा,
''मेरा पहला ट्वीट.
शुभकामना संदेशों के लिए आप सभी का शुक्रिया! महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलने के बाद से गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। सुषमा स्वराज के पद चिन्हों पर चलने का मौका मिला है जो मेरे लिए गर्व की बात है।''
एस जयशंकर विदेश मंत्री बनने वाले पहले नौकरशाह
वह पहले ऐसे विदेश सचिव हैं जो विदेश मंत्री भी बने हैं। जयशंकर को चीन एवं अमेरिका मामलों का विशेषज्ञ माना जाता है। नये विदेश मंत्री के रूप में उन पर खास नजर होगी कि वह इन दोनों महत्वपूर्ण देशों के साथ ही पाकिस्तान से निपटने में भारत के रूख को किस प्रकार से आगे बढ़ाते हैं। जयशंकर को विदेश सेवा से अवकाशग्रहण करने के 16 महीने बाद यह महत्वपूर्ण दायित्व दिया गया है। उनके समक्ष जी..20, शंघाई सहयोग संगठन और ब्रिक्स संगठन जैसे विभिन्न वैश्विक मंचों पर भारत के वैश्विक प्रभाव को बढ़ाने की उम्मीदों को अमल में लाने की जिम्मेदारी भी रहेगी। हालांकि, उनके नेतृत्व में अमेरिका, रूस, फ्रांस, जापान और यूरोपीय संघ तथा पड़ोसी देशों के साथ व्यापार एवं रक्षा संबंधों को और मजबूत बनाने पर मंत्रालय का मुख्य जोर रहेगा।
जनवरी 2015 में जयशंकर को विदेश सचिव नियुक्त किया गया था
नरेंद्र मोदी मंत्रिपरिषद में पूर्व विदेश सचिव एस जयशंकर को शामिल किया जाना चौंकाने वाला रहा। अनुभवी राजनयिक जयशंकर चीन और अमेरिका के साथ बातचीत में भारत के प्रतिनिधि भी रहे थे। देश के प्रमुख सामरिक विश्लेषकों में से एक दिवंगत के . सुब्रमण्यम के पुत्र जयशंकर ऐतिहासिक भारत-अमेरिका परमाणु समझौते के लिए बातचीत करने वाली भारतीय टीम के एक प्रमुख सदस्य थे। इस समझौते के लिए 2005 में शुरूआत हुयी थी और 2007 में मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली संप्रग सरकार ने इस पर हस्ताक्षर किए थे। जनवरी 2015 में जयशंकर को विदेश सचिव नियुक्त किया गया था और सुजाता सिंह को हटाने के सरकार के फैसले के समय को लेकर विभिन्न तबकों ने तीखी प्रतिक्रिया जतायी थी।
जयशंकर अमेरिका और चीन में भारत के राजदूत के पदों पर भी काम कर चुके हैं। 1977 बैच के भारतीय विदेश सेवा आईएफएस अधिकारी जयशंकर ने लद्दाख के देपसांग और डोकलाम गतिरोध के बाद चीन के साथ संकट को हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जयशंकर सिंगापुर में भारत के उच्चायुक्त और चेक गणराज्य में राजदूत पदों पर भी काम कर चुके हैं। 64 वर्षीय जयशंकर जनवरी 2015 से जनवरी 2018 तक विदेश सचिव रहे हैं।