त्रिपुरा विधानसभा में कानून व्यवस्था के मुद्दे पर हंगामा, विपक्ष ने किया बर्हिगमन
By भाषा | Published: September 24, 2021 08:45 PM2021-09-24T20:45:06+5:302021-09-24T20:45:06+5:30
अगरतला, 24 सितंबर त्रिपुरा विधानसभा में शुक्रवार को राज्य की कानून व्यवस्था के मुद्दे पर माकपा विधायक सुधन दास की ओर से पेश स्थगन प्रस्ताव को नवनिर्वाचित स्पीकर रतन चक्रवर्ती द्वारा अस्वीकार किए जाने के बाद विपक्षी सदस्यों ने सदन से बर्हिगमन (वॉक आउट) किया।
चक्रवर्ती के सर्वसम्मति से विधानसभा अध्यक्ष चुने जाने के तुरंत बाद दास राज्य की ‘खराब’ होती कानून व्यवस्था के मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव पेश करना चाहते थे। स्थगन प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए स्पीकर ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री बिपल्ब कुमार देब नियमित प्रश्नकाल के बाद राज्य की कानून व्यवस्था पर बयान देंगे। आप प्रश्नकाल समाप्त होने के बाद यह मुद्दा उठा सकते हैं।’’
इसके बाद नेता प्रतिपक्ष मणिक सरकार के नेतृत्व में माकपा विधायक अध्यक्ष के आसन के सामने आए गए और नारेबाजी शुरू कर दी। उन्होंने राज्य में विपक्षी नेताओं पर ‘लगातार हो रहे हमलों’ के मद्देनजर तत्काल चर्चा कराने की मांग की।
इसके बावजूद स्पीकर के अपने निर्णय पर अड़े रहने पर विपक्षी विधायकों ने यह दावा करते हुए सदन का बर्हिगमन किया कि उन्हें अहम मुद्दों पर चर्चा की अनुमति नहीं दी जा रही।
बाद में मीडिया से बातचीत करते हुए सरकार ने घोषणा की कि विपक्षी विधायक स्पीकर के ‘हठपूर्ण’ व्यवहार के विरोध में सत्र के बाकी बचे दिनों में सदन की कार्यवाही में शामिल नहीं होंगे, जो सोमवार को समाप्त हो रहा है।
सरकार ने आरोप लगाया कि राज्य में अराजकता बढ़ती जा रही है और ‘‘ भाजपा समर्थित गुंडे’’ विपक्षी नेताओं पर हमले कर रहे हैं। उन्होंने कहा,‘‘मेरे विचार से राज्य की कानून व्यवस्था अहम मुद्दा है जिस पर विधानसभा में चर्चा होनी चाहिए। हमारे सदस्य ने उचित तरीके से इस मुद्दे को उठाया लेकिन उन्हें अनुमति नहीं दी गई। अगर अहम मुद्दों पर चर्चा की अनुमति नहीं दी जाएगी तो सदन में बैठने का कोई औचित्य नहीं है।’’
सदन में मुख्यमंत्री ने विपक्ष के आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘ राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक , गत तीन साल में राज्य में 16,719 मामले दर्ज किए गए। वर्ष 2020 में दर्ज मामलों की संख्या घटकर 4,653 हो गई जो वर्ष 2019 में 6,078 थी। वर्ष 2018 में राज्य में केवल 5,988 मामले दर्ज किए गए थे।
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