केरल विस में हंगामा मामला: अदालत ने आरोपियों की आरोप मुक्त करने की याचिका खारिज की
By भाषा | Published: October 13, 2021 03:20 PM2021-10-13T15:20:52+5:302021-10-13T15:20:52+5:30
तिरुवनंतपुरम, 13 अक्टूबर केरल में सामान्य शिक्षा मंत्री वी शिवनकुट्टी और अन्य की ओर से 2015 में विधानसभा में हंगामा करने के मामले में आरोपमुक्त करने के लिए दायर याचिका यहां एक अदालत ने बुधवार को खारिज कर दी। इसे राज्य में सत्तारूढ़ एलडीएफ के लिए झटका माना जा रहा है।
तिरुवनंतपुरम के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजीएम) ने याचिका खारिज करते हुए मंत्री और पांच अन्य को 22 नवंबर को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया ताकि उनके खिलाफ आरोप तय किए जा सकें।
शिवनकुट्टी के अलावा, मामले के अन्य आरोपी ई पी जयराजन, के टी जलील, के अजित, सी के सदाशिवन और के कुन्हम्मद हैं। ये सभी उस समय विपक्ष के विधायक थे।
शिवनकुट्टी और जलील दोनों अब भी विधानसभा के सदस्य हैं। अदालत के आदेश पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विधानसभा में विपक्ष के नेता वी डी सतीशन ने कहा कि शिवनकुट्टी ने मंत्री पद पर बने रहने का नैतिक अधिकार खो दिया है।
मंत्री से पद छोड़ने का आग्रह करते हुए, कांग्रेस नेता ने कहा कि अदालत ने शिवनकुट्टी और अन्य लोगों के विधानसभा में डेस्क पर चढ़कर सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करने के दृश्यों पर विचार करते हुए उनकी याचिकाओं को खारिज किया है।
निचली अदालत ने पिछले साल सितंबर में विधानसभा में हंगामा करने से जुड़े मामले वापस लेने की एलडीएफ सरकार की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि ऐसा करने से समाज में गलत संदेश जाएगा।
इसके बाद 28 जुलाई को उच्चतम न्यायालय ने एलडीएफ के छह नेताओं के खिलाफ मामला वापस लेने की केरल सरकार की याचिका खारिज कर दी थी। न्यायालय ने कहा था कि विशेषाधिकार और उन्मुक्ति आपराधिक कानून से छूट का दावा करने का “रास्ता नहीं” हैं जो हर नागरिक के कृत्य पर लागू होता है।
ओमन चांडी के नेतृत्व वाली यूडीएफ की पिछली सरकार ने भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं और सार्वजनिक संपत्ति क्षति रोकथाम कानून के तहत मामला दर्ज कराया था।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।