'RSS के कुछ लोग भी सीएए के खिलाफ, मोदी सरकार 'शराब पीए हुए किशोर' की तरह कर रही है व्यवहार'
By भाषा | Updated: January 29, 2020 19:58 IST2020-01-29T19:58:35+5:302020-01-29T19:58:35+5:30
कन्नन गोपीनाथन ने कहा, ‘‘वह (सरकार) सामान्य बच्चा नहीं है बल्कि नशे में चूर किशोर है। उससे सवाल किए जाने चाहिए क्योंकि जब वह बर्बाद करना शुरू करेगी तो केवल किसी और का घर बर्बाद नहीं करेगी बल्कि आपके अपने घर को बर्बाद कर देगी।’’

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नौकरशाह से कार्यकर्ता बने कन्नन गोपीनाथन ने कहा कि ‘‘आरएसएस के कुछ लोगों’’ का भी मानना है कि संशोधित नागरिकता काननू खराब कानून है लेकिन वे चुप हैं क्योंकि केंद्र की राजग सरकार उनकी अपनी सरकार है। पणजी में उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार ‘‘शराब पीए हुए किशोर’’ की तरह व्यवहार कर रही है जिससे सवाल किए जाने की जरूरत है नहीं तो वह घरों को तबाह कर देगी।
उन्होंने दावा किया, ‘‘मुझे उत्तरप्रदेश में दो बार हिरासत में लिया गया, पूरे दिन हिरासत में रखा गया क्योंकि वे (सरकार) नहीं चाहते कि कोई सवाल पूछे (सीएए पर)। मैंने आरएसएस के कई लोगों से मुलाकात की, वे भी इसे समझते हैं...अगर आप इस बातचीत को देखें तो वे भी समझते हैं कि सरकार ने कुछ (गलत) किया है और उन्हें इसका समर्थन करने के लिए कहा गया है।’’
उन्होंने कहा कि आरएसएस के लोगों का यही मानना है कि ‘‘इसका (सीएए) केवल समर्थन करो’’ क्योंकि वे वाद-विवाद नहीं चाहते क्योंकि ‘‘सरकार उनकी अपनी है।’’
गोपीनाथन ने कहा, ‘‘वह (सरकार) सामान्य बच्चा नहीं है बल्कि नशे में चूर किशोर है। उससे सवाल किए जाने चाहिए क्योंकि जब वह बर्बाद करना शुरू करेगी तो केवल किसी और का घर बर्बाद नहीं करेगी बल्कि आपके अपने घर को बर्बाद कर देगी।’’
कन्नन गोपीनाथन ने कहा कि केंद्र सरकार 1950 का एजेंडा लागू कर देश को पीछे धकेल रही है। उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और अंततः राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) से केवल नफरत और हिंसा ही पैदा होगी। लोग सीएए, एनपीआर और एनआरसी के कालक्रम और संयोजन को अच्छी तरह से समझते हैं।
गोपीनाथन ने कहा, ‘‘सीएए संवैधानिक और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के खिलाफ है और इसलिए लोग इसका विरोध कर रहे हैं। एनपीआर और एनआरसी दस्तावेज आधारित कार्रवाई है जो गरीब, आदिवासी और महिलाओं के खिलाफ है और इससे अंतत: भ्रष्टाचार को ही बढ़ावा मिलेगा।’’
उन्होंने कहा कि सरकार 1950 के एजेंडे का कार्यान्वयन कर केवल और केवल देश को पीछे धकेल रही है। उल्लेखनीय है कि आईएएस अधिकारी गोपीनाथ ने केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटाए जाने के के बाद जम्मू-कश्मीर के लोगों को अभिव्यक्ति की आजादी न दिए जाने के मुद्दे पर अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने कश्मीरी लोगों से चर्चा या बात किए बिना ही धारा 370 को रद्द कर दिया। वहां के लोगों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से वंचित कर दिया गया और बाकी देश के लोग उनके साथ खड़े नहीं हो रहे थे।' उन्होंने कहा,‘‘ इस मुद्दे पर एक भयानक चुप्पी थी और इसलिए मैंने प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा का फैसला किया। हमें कश्मीरी लोगों के साथ खड़ा होना चाहिए था।’’