RSS प्रचारक पी. परमेश्वरन का निधन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई नेताओं ने किया शोक व्यक्त
By भाषा | Published: February 10, 2020 04:49 AM2020-02-10T04:49:38+5:302020-02-10T04:55:44+5:30
पूर्ववर्ती भारतीय जन संघ के नेता रहे परमेश्वरन को 2018 में देश के दूसरे सबसे बड़े असैन्य सम्मान पद्म विभूषण से और 2004 में पद्मश्री से नवाजा गया था। उन्होंने जन संघ के दिनों में दीनदयाल उपाध्याय, अटल बिहारी वाजपेयी और एल. के. आडवाणी जैसे नेताओं के साथ काम किया था।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वयोवृद्ध विचारक और लेखक पी. परमेश्वरन का शनिवार देर रात निधन हो गया। वह 93 वर्ष के थे। संघ परिवार के सूत्रों ने बताया कि केरल वासियों में ‘‘राष्ट्रवादी सोच’’ को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किए गए ‘भारतीय विचार केंद्रम’ के संस्थापक निदेशक परमेश्वरन का केरल के पलक्कड़ जिले के ओट्टाप्पलम में आयुर्वेदिक उपचार चल रहा था। यहीं पर देर रात 12 बजकर 10 मिनट पर उन्होंने अंतिम सांस ली।
पूर्ववर्ती भारतीय जन संघ के नेता रहे परमेश्वरन को 2018 में देश के दूसरे सबसे बड़े असैन्य सम्मान पद्म विभूषण से और 2004 में पद्मश्री से नवाजा गया था। उन्होंने जन संघ के दिनों में दीनदयाल उपाध्याय, अटल बिहारी वाजपेयी और एल. के. आडवाणी जैसे नेताओं के साथ काम किया था। उनके पार्थिव शरीर को रविवार देर रात तिरुवनंतपुरम में भारतीय विचार केंद्र लाया गया जहां संघ परिवार के नेता, कार्यकर्ता और अन्य राजनीतिक पार्टियों के लोग उन्हें श्रद्धांजलि देंगे।
संघ के नेताओं ने बताया कि उनके पार्थिव शरीर को भारतीय विचार केंद्र में सोमवार सुबह छह बजे तक रखा जाएगा और उसके बाद उन्हें महात्मा अय्यानकली हॉल में लोगों के अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा।
परमेश्वरन का अंतिम संस्कार सोमवार दोपहर उनके पैतृक शहर अलप्पुझा के मुहम्मा में किया जाएगा। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत कई नेताओं ने आरएसएस के सबसे वरिष्ठतम प्रचारकों में शामिल परमेश्वरन के निधन पर शोक व्यक्त किया।
नायडू ने ट्वीट किया, ‘‘श्री परमेश्वरन जी के निधन से बेहद दुखी हूं। वह एक बेहतरीन लेखक, कवि, अनुसंधानकर्ता और ‘भारतीय विचार केंद्रम’ के संस्थापक एवं निदेशक थे।’’ मोदी ने कहा कि परमेश्वरन भारत के एक महान और समर्पित पुत्र थे। प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘उनका जीवन भारत की सांस्कृतिक जागरूकता, आध्यात्मिक उत्थान और गरीब लोगों की सेवा करने के लिए समर्पित रहा।
परमेश्वरन जी की सोच महान और लेखनी कमाल थी। वह अपने विचारों पर हमेशा अडिग रहे।’’ परमेश्वरन ने ‘भारतीय विचार केंद्रम’, ‘विवेकानंद केंद्र’ जैसे प्रख्यात संस्थानों को अपनी सेवाएं दीं।
मोदी ने कहा, ‘‘मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे उनसे बातचीत के कई अवसर मिले। वह एक बुद्धिजीवी थे। मैं उनके निधन से दुखी हूं। ओम शांति।’’
An institution builder, Parameswaran Ji nurtured eminent institutions such as the Bharatheeya Vichara Kendram, Vivekananda Kendra and others. I am fortunate to have interacted with him many times. He was a towering intellectual. Anguished by his demise. Om Shanti. pic.twitter.com/DMo2fBiL3r
— Narendra Modi (@narendramodi) February 9, 2020
राज्यपाल खान ने शोक व्यक्त करते हुए ट्वीट किया, ‘‘भारतीय विचार केंद्रम के निदेशक पी परमेश्वरन जी के निधन से बहुत दुखी हूं।’’ उन्होंने कहा कि परमेश्वरन ने भारतीय विचार पर अपने शानदार भाषणों एवं लेखन से समाज को प्रेरित किया। विजयन ने कहा कि परमेश्वरन एक ऐसे विचारक थे जिन्होंने उस विचारधारा के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया, जिसमें वह भरोसा करते थे।
शाह ने ट्वीट किया, ‘‘वरिष्ठ प्रचारक एवं पद्म विभूषण से सम्मानित पी. परमेश्वरन जी के निधन की खबर से दुखी हूं। वह महान समाज सुधारक और सच्चे राष्ट्रवादी थी जिन्होंने अपना पूरा जीवन देश और मानवता की सेवा के लिए समर्पित कर दिया। उनका निधन समाज के लिए अपूरणीय क्षति है। ओम शांति।’’
उन्होंने कहा कि सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और राष्ट्रीय विषयों पर परमेश्वरन का लेखन एवं उनके विचार ‘अद्वितीय’ हैं। शाह ने कहा कि आपातकाल के दौर में लोकतंत्र को पुन: स्थापित करने में उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा। परमेश्वरन एक बेहतरीन लेखक, कवि, अनुसंधानकर्ता और सम्मानित आरएसएस विचारक थे। उन्होंने भारतीय जन संघ के सचिव (1967-1971) और उपाध्यक्ष (1971-1977) के अलावा नयी दिल्ली स्थित दीनदयाल अनुसंधान संस्थान के निदेशक (1977-1982) के तौर पर भी सेवाएं दीं।
परमेश्वरन का जन्म 1927 में अलप्पुझा जिले के मुहम्मा में हुआ था। वह आरएसएस के साथ तभी जुड़ गए थे, जब वह छात्र थे। परमेश्वरन ने आपातकाल के दौरान इसके खिलाफ सत्याग्रह में भाग लिया था और इसी कारण वह 16 महीने जेल में भी रहे थे। उन्होंने 1982 में ‘भारतीय विचार केंद्रम’ की स्थापना की थी।