पूरी दुनिया में इस्लाम का आक्रमण हुआ, स्पेन से मंगोलिया तक छाए, संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा- धीरे-धीरे लोग जागे और आक्रमणकारियों को हराया, देखें वीडियो
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: June 1, 2023 22:27 IST2023-06-01T22:27:02+5:302023-06-01T22:27:43+5:30
नागपुर में आरएसएस के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत ने वैश्विक आर्थिक संकट और कोविड-19 महामारी के दौरान सभी देशों में से सबसे अच्छा प्रदर्शन किया।

हम हमारा बल नहीं दिखा रहे, हम आपस में ही लड़ रहे हैं।
नागपुरः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत की एकता और अखंडता के लिए हर किसी को प्रयास करना चाहिए। पूरी दुनिया में इस्लाम का आक्रमण हुआ, स्पेन से मंगोलिया तक छा गया। धीरे-धीरे वहां के लोग जागे, उन्होंने आक्रमणकारियों को हराया किया।
मोहन भागवत ने कहा कि तो अपने कार्य क्षेत्र में इस्लाम सिकुड़ गया। सबने सब बदल दिया। अब विदेशी तो यहां से चले गए लेकिन इस्लाम की पूजा कहां सुरक्षित चलती है, यहीं सुरक्षित चलती है। कितने शतक हुए यह सह जीवन चल रहा है। इसको न पहचानते हुए आपस के भेदों को ही बरकरार रखने वाली नीति चलाना, ऐसा करेंगे तो कैसे होगा।
#WATCH जैसे गर्मी में वर्षा कि बौछारे सुखद लगती है वैसे ही स्वतंत्रता के 75 वर्ष बाद इस प्रकार कि सुखद भावनाओं का अनुभव हम जैसे कर रहे है, वैसे चिंतित करने वाला दृश्य भी हमें परिस्थिति मे मिल रहा है। इसी समय देश में कितने जगह कितने प्रकार के कलह मचे है, भाषा, पंथ, संप्रदायों,… pic.twitter.com/3mbD7hvAtk
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 1, 2023
नागपुर में आरएसएस के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि भारत ने वैश्विक आर्थिक संकट और कोविड-19 महामारी के दौरान सभी देशों में से सबसे अच्छा प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा, ‘‘भारत की एकता और अखंडता के लिए सभी को प्रयास करना चाहिए।’’
#WATCH पूरी दुनिया में इस्लाम का आक्रमण हुआ, स्पेन से मंगोलिया तक छा गया। धीरे-धीरे वहां के लोग जागे, उन्होंने आक्रमणकारियों को परस्त किया। तो अपने कार्य क्षेत्र में इस्लाम सिकुड़ गया। सबने सब बदल दिया। अब विदेशी तो यहां से चले गए लेकिन इस्लाम की पूजा कहां सुरक्षित चलती है, यहीं… pic.twitter.com/uBdULvYKY0
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 1, 2023
जैसे गर्मी में वर्षा कि बौछारे सुखद लगती है वैसे ही स्वतंत्रता के 75 वर्ष बाद इस प्रकार कि सुखद भावनाओं का अनुभव हम जैसे कर रहे है, वैसे चिंतित करने वाला दृश्य भी हमें परिस्थिति मे मिल रहा है। इसी समय देश में कितने जगह कितने प्रकार के कलह मचे है।
भाषा, पंथ, संप्रदायों, मिलने वाली सहूलियतों के लिये विवाद और केवल विवाद ही नहीं बल्कि इसका इस हद तक बढ़ना कि हम आपस में ही हिंसा करने लगे। अपने देश कि सीमाओं पर, अपनी स्वतंत्रता पर बुरी नजर रखने वाले शत्रु बैठे हैं उनको हम हमारा बल नहीं दिखा रहे, हम आपस में ही लड़ रहे हैं।