जीवन के अधिकार को खतरा होने पर धार्मिक आचरण करने का अधिकार कम महत्वपूर्ण हो सकता है:अदालत

By भाषा | Updated: July 2, 2021 20:35 IST2021-07-02T20:35:22+5:302021-07-02T20:35:22+5:30

Right to religious practice may become less important when right to life is threatened: Court | जीवन के अधिकार को खतरा होने पर धार्मिक आचरण करने का अधिकार कम महत्वपूर्ण हो सकता है:अदालत

जीवन के अधिकार को खतरा होने पर धार्मिक आचरण करने का अधिकार कम महत्वपूर्ण हो सकता है:अदालत

चेन्नई, दो जुलाई मद्रास उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि जब जीवन का अधिकार खतरे में हो तब धार्मिक आचरण करने के अधिकार को कम प्राथमिकता दी जा सकती है।

मुख्य न्यायाधीश एस बनर्जी और न्यायमूर्ति सेंथीलकुमार राममूर्ति की प्रथम पीठ ने कहा, ‘‘धार्मिक आचरण करने का अधिकार निश्चित तौर पर जीवन का अधिकार से कम महत्वपूर्ण है और जब जीवन के अधिकार को खतरा हो, जब धार्मिक आचरण करने का अधिकार कम महत्वपूर्ण हो सकता है। ’’

पीठ ने कहा कि अदालतें इस तरह के विषयों में तब तक हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं जब तक कि सरकार की कार्रवाई पूरी तरह से मनमाना या आधारहीन नहीं हो।

अदालत ने तमिलनाडु सरकार को राज्य में सभी उपासना स्थलों को बगैर किसी पाबंदी के खोले जाने का निर्देश देने का अनुरोध करने वाली एक जनहित याचिका का निस्तारण करते हुए यह कहा। ये धार्मिक स्थल कोविड-19 महामारी को फैलने से रोकने के लिए लागू किये गये लॉकडाउन के कारण बंद हैं।

पीठ ने नियमित बस सेवा बहाल करने का अनुरोध करने वाली एक अन्य पीआईएल का निस्तारण करते हुए कहा कि महामारी की दूसरी लहर अभी तक खत्म नहीं हुई है और तीसरी लहर का भी खतरा है।

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Web Title: Right to religious practice may become less important when right to life is threatened: Court

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