मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बयान जारी कर कहा है कि उनकी सरकार पदोन्नती में आरक्षण की पक्षधर है. मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड सरकार के सुप्रीम कोर्ट में रखे गए पक्ष के आधार पर पूरी भाजपा को कटघरे में खड़ा किया है.
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा आरक्षण खत्म करना चाहती है. पदोन्नति में आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में होने के कारण मध्य प्रदेश में तीन साल से पदोन्नतियां नही हो पा रही हैं. पिछली सरकार ने इसके चलते आयु सीमा 60 से बढ़ाकर 62 कर दी थी। मामला अब तक नहीं सुलझा। अब कांग्रेस सरकार भी आयु सीमा एक साल बढ़ाने पर विचार कर रही है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड की भाजपा सरकार ने जो सोच व्यक्त की है अनुसूचित और जनजाति वर्ग के प्रति, वह उनकी असलियत को उजागर करता है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि जबकि उत्तराखंड सरकार ने जो विशेष समिति गठित की थी, उस समिति की रिपोर्ट को भी दरकिनार किया. समिति ने स्पष्ट कहा है कि राज्य में सरकारी सेवा में अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है. इसके बावजूद भाजपा सरकार ने न्यायालय में आरक्षण का विरोध किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा की यह सोच दलित और आदिवासी वर्ग के हितों का विरोध है.
वहीं, कांग्रेस द्वारा इस मुद्दे पर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव एवं प्रदेश प्रभारी सुधांशु त्रिपाठी की अध्यक्षता एवं प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष संगठन प्रभारी चंद्रप्रभाष शेखर की उपस्थिति में एक बैठक आयोजित की गई. बैठक में निर्णय लिया गया कि 15 फरवरी को राजधानी भोपाल के बोर्ड आफिस चौराहे पर ग्यारह बजे से प्रदेशव्यापी आंदोलन आयोजित होगा. आंदोलन में प्रदेशभर के अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग के कांग्रेस पदाधिकारी, कार्यकर्ता, कांग्रेस पक्ष के जनप्रतिनिधि, विधायक, पूर्व विधायक, सांसद, पूर्व सांसद एवं आम नागरिक शामिल होंगे.
इसके बाद जिलों एवं ब्लाकों में इस धरना-प्रदर्शन, आंदोलन को आयोजित किया जाएगा. इस दौरान राष्ट्रपति के नाम संबोधित ज्ञापन राज्यपाल को सौंपा जाएगा.