प्रयागराज, 11 दिसंबर गोरखपुर में एक मकान में श्रम अदालत और औद्योगिक अधिकरण के संचालन और वह भी पालियों में इनके चलने को संज्ञान में लेते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के श्रम मंत्रालय के प्रमुख सचिव को एक सप्ताह में रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। साथ ही अदालत ने पूछा है कि इन दो न्यायिक मंचों के लिए इस स्थिति से निपटने के लिए तत्काल क्या कदम उठाए जा सकते हैं।
न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने वशिष्ठ राय नाम के एक व्यक्ति की याचिका पर बुधवार को यह आदेश पारित किया। राय का मामला गोरखपुर की श्रम अदालत में पिछले करीब 12 साल से लंबित है।
इससे पूर्व, सात दिसंबर को इस अदालत ने गोरखपुर की श्रम अदालत के पीठासीन अधिकारी से स्पष्टीकरण मांगा था कि इस मामले में फैसला पिछले 12 साल से लंबित क्यों है।
उक्त आदेश के अनुपालन में श्रम अदालत के पीठासीन अधिकारी ने अदालत को अपनी स्पष्टीकरण रिपोर्ट सौंपी। इस रिपोर्ट में बताया गया कि करीब 1291 मामले उसके पास सुनवाई के लिए हैं। रिपेार्ट के अनुसार श्रम अदालत एवं औद्योगिक अधिकरण एक निजी मकान में साथ साथ काम कर रहे हैं और उनके पास एक ही कमरा और दोनों फोरम के पीठासीन अधिकारियों के लिए एक ही चैंबर है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि श्रम अदालत और औद्योगिक अधिकरण एक ही अदालती कक्ष में बैठते हैं, इसलिए वे एक साथ काम नहीं कर सकते और यही वजह है कि श्रम अदालत सप्ताह में तीन दिन काम करती है और औद्योगिक अधिकरण सप्ताह में दो दिन काम करता है।
इस पर अदालत ने कहा, “यह रिपोर्ट न्याय के लिए काम कर रहे संगठन के मामले में बहुत चिंताजनक स्थिति प्रकट करती है।”
अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 17 दिसंबर तय की है।
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