लाइव न्यूज़ :

वी.वी. गिरि, देश के चौथे राष्ट्रपति जिन्हें जीता कर इंदिरा गांधी ने अपनी 'गूंगी गुड़िया' की छवि तोड़ी

By भारती द्विवेदी | Updated: June 23, 2018 08:17 IST

वी.वी. गिरि राष्ट्रपति चुनाव में बतौर निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में उतरे और बहुत कम वोटों के अंतर से राष्ट्रपति पद का चुनाव जीत लिया। वो भी तब जब दूसरी वरीयता के मतों की गिनती करानी पड़ी।

Open in App

वराहगिरि वेंकट गिरि या वी.वी. गिरि देश के चौथे राष्ट्रपति। 10 अगस्त 1894 को उनका जन्म ओड़िशा के ब्रह्मपुर में एक तेलगू ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता वी.वी. जोगिआह पंतुलु एक लोकप्रिय वकील और स्थानीय बार काउंसिल के नेता थे। भारत रत्न से सम्मानित वी.वी. गिरि देश के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति से लेकर उपराष्ट्रपति और कई राज्यों के राज्यपाल की जिम्मेदारी संभाली थी। वी.वी. गिरि की छवि बतौर मजदूर नेता बहुत मजबूत थी, लेकिन राष्ट्रपति बनने के बाद उनकी छवि 'यस मैन' वाले नेता की बनकर रह गई। 23 जून 1980 को 85 साल की उम्र में वी.वी. गिरि का निधन हो गया। 

आखिर क्यों आयरलैंड से उन्हें देश निकाल दे दिया गया था

वी.वी. गिरि ने अपनी शुरुआती पढ़ाई ब्रह्मपुर से ही की थी लेकिन कॉलेज की पढ़ाई के लिए साल 1913 में वो आयरलैंड चल गए। वहां उन्होंने डबलिन यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की। साल 1916 में पढ़ाई के दौरान ही उनकी मुलाकात मशहूर ब्रिटिश विद्रोही डी वलेरा से हुई। डी वलेरा से संपर्क में आने के बाद उनका झुकाव आयरिश आंदोलन की तरफ हुआ। आयरलैंड की आजादी के लिए चल रहे उस आंदोलन से जुड़ने की वजह से उन्हें आयरलैंड से देश निकाला दे दिया गया था। फिर हिंदुस्तान आकर उन्होंने मद्रास हाई कोर्ट में वकालत की और उसी दौरान कांग्रेस से जुड़ गए। साल 1920 में गांधी द्वारा शुरू किए गए असहयोग आंदोलन में जेल भी गए थे।

कार्यवाहक राष्ट्रपति, जो निर्दलीय चुनाव लड़ राष्ट्रपति बन गया

साल 1969 में डॉक्टर जाकिर हुसैन देश के राष्ट्रपति थे। 3 मई 1969 को जाकिर हुसैन की अचानक मौत हो गई। जिसके बाद वी.वी. गिरि को देश का कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया। वी.वी. गिरि उस समय देश के उपराष्ट्रपति थे। उस समय तक बनी रवायत के मुताबिक उपराष्ट्रपति ही राष्ट्रपति बनता था। लेकिन जब राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हुआ तो कांग्रेस सिंडिकेट (पार्टी में वर्चस्व वाले नेता) दिग्गज नेताओं ने इंदिरा गांधी के खिलाफ जाकर उस समय के लोकसभा स्पीकर के नीलम संजीव रेड्डी को प्रत्याशी घोषित किया। विपक्ष ने भारतीय रिजर्व बैंक के पहले गर्वनर सीडी देशमुख को अपना उम्मीदवार बनाया था। पक्ष-विपक्ष के सारे हालातों को देखते हुए वी.वी. गिरि राष्ट्रपति चुनाव में बतौर निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में उतरे और बहुत कम वोटों के अंतर से राष्ट्रपति पद का चुनाव जीत लिया। वो भी तब जब दूसरी वरीयता के मतों की गिनती करानी पड़ी। और ऐसा पहली बार हुआ था, जब दूसरी वरीयता के मतों का गिनती की गई थी।

राजनीति में 'यस मैन' 'अंतरात्मा की आवाज' जैसे टर्म का श्रेय इन्हें जाता है

कहते हैं राजतीनति में 'यस मैन' परंपरा की शुरुआत वी.वी. गिरि ने की थी। इंदिरा गांधी को राजनीति में आए भले कुछ समय हुआ था लेकिन राजनीतिक दांव-पेंच वो भली-भांति समझती थीं। अपनी पसंद का राष्ट्रपति चुन वो ये साबित करना चाहती थी कि वो गूंगी-गुड़िया नहीं है। साथ ही वो ये भी दिखाना चाहती थीं कि कांग्रेस में चलती किसकी है।कांग्रेस सिंडिकेट के नेता जब इंदिरा गांधी की मर्जी के खिलाफ राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार चुन रहे थे, तब उन दिग्गज नेताओं को पटखनी देने के लिए इंदिरा गांधी वी.वी. गिरि के पास गई थीं। इंदिरा ने वी.वी. गिरि को चुनाव लड़ने के लिए मना लिया था। 

जिसके बाद वी.वी. गिरि ने ऐलान किया कि अगर कांग्रेस उन्हें अपना प्रत्याशी नहीं बनाती, तब भी वो निर्दलीय चुनाव लड़ेगे। वी.वी. गिरि के चुनावी मैदान में उतरने के बाद इंदिरा गांधी ने अपने दल के नेताओं से 'अंतरात्मा की आवाज' पर वोट देने को कहा। ना सिर्फ अपनी पार्टी बल्कि इंदिरा गांधी ने उन राज्यों के मुख्यमंत्रियों से भी संपर्क किया, जहां उनकी पार्टी सत्ता में नहीं थी।

लोकमत न्यूज के लेटेस्ट यूट्यूब वीडियो और स्पेशल पैकेज के लिए यहाँ क्लिक कर सब्सक्राइब करें!

टॅग्स :भारत के राष्ट्रपतिइंदिरा गाँधीकांग्रेस
Open in App

संबंधित खबरें

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारतSanchar Saathi App: विपक्ष के आरोपों के बीच संचार साथी ऐप डाउनलोड में भारी वृद्धि, संचार मंत्रालय का दावा

भारतMCD Bypoll Results 2025: दिल्ली के सभी 12 वार्डों के रिजल्ट अनाउंस, 7 पर बीजेपी, 3 पर AAP, कांग्रेस ने 1 वार्ड जीता

भारतMCD by-elections Result: BJP ने चांदनी चौक और शालीमार बाग बी में मारी बाजी, कांग्रेस ने जीता संगम विहार ए वार्ड

भारतबिहार विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद पार्टी के अंदर एक बार फिर शुरू हो गया है 'एकला चलो' की रणनीति पर गंभीर मंथन

भारत अधिक खबरें

भारतसिरसा जिलाः गांवों और शहरों में पर्याप्त एवं सुरक्षित पेयजल, जानिए खासियत

भारतउत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोगः 15 विषय और 7466 पद, दिसंबर 2025 और जनवरी 2026 में सहायक अध्यापक परीक्षा, देखिए डेटशीट

भारतPariksha Pe Charcha 2026: 11 जनवरी तक कराएं पंजीकरण, पीएम मोदी करेंगे चर्चा, जनवरी 2026 में 9वां संस्करण

भारत‘सिटीजन सर्विस पोर्टल’ की शुरुआत, आम जनता को घर बैठे डिजिटल सुविधाएं, समय, ऊर्जा और धन की बचत

भारतआखिर गरीब पर ही कार्रवाई क्यों?, सरकारी जमीन पर अमीर लोग का कब्जा, बुलडोजर एक्शन को लेकर जीतन राम मांझी नाखुश और सम्राट चौधरी से खफा