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लॉकडाउन के बीच समय की परवाह किए बिना ‘तेल सेवक’ समुद्र के बीच तेल एवं गैस क्षेत्रों में कर रहे काम

By भाषा | Updated: April 15, 2020 05:48 IST

वैश्विक स्तर पर ऐसे क्षेत्रों में काम करने वाले कर्मचारियों को महीने में 14 दिन समुद्र के बीच में काम करना होता है और बाकी का समय वह घर पर अपने परिवार के साथ बिताते हैं।

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ठळक मुद्देओएनजीसी जैसी कंपनियों को समुद्र तल के भीतर खुदाई करनी होती है और वहां समुद्र में ही तेल कुंए के ऊपर लोहे का ढांचा खड़ा करना होता है।मुंबई से ही इन कर्मचारियों को हेलीकॉप्टर के माध्यम से समुद्र के बीच स्थित तेल क्षेत्र तक पहुंचाया जाता है। 

नयी दिल्ली: अपने घरे से मीलों दूर गहरे समुद्र के ऊपर लोहे के खंबों पर खड़े एक ढांचे पर समय की परवाह किये बिना ‘तेल सेवक’ लगातार देश के सबसे बड़े तेल एवं गैस क्षेत्रों का परिचालन कर रहे हैं। समुद्र के बीचों बीच ऐसी जगह जहां रात- दिन रहकर काम करना काफी मुश्किल होता हैं वहां ओएनजीसी के करीब 4,500 कर्मचारी और अधिकारी अपनी 14 दिन की तय ड्यूटी से आगे बढ़कर 35- 35 दिन से लगातार काम कर रहे हैं।

यह तेल सेवक अरब सागर और बंगाल की खाड़ी स्थित तेल के कुंओं को लगातार चालू रखे हुये हैं। इतने शारीरिक और मानसिक तनाव देने वाले इस काम के लिए इन्हें यदि कोई बात एक सूत्र में पिरोती है तो वह है देश की ऊर्जा जरूरत को पूरा करने का जज्बा। कोरोना वायरस के सामुदायिक फैलाव को रोकने लिए लागू किए गए लॉकडाउन (बंद) की वजह से सभी लोग इन दिनों अपने घरों में रहने को मजबूर हैं।

पहले देश में 25 मार्च से 14 अप्रैल तक के लिए यह पाबंदी लगाई गई जिसे अब बढ़ाकर तीन मई तक कर दिया गया है। इसके बावजूद नौ महिलाओं समेत यह कर्मचारी लगातार इन तेल मंचों पर काम कर रहे हैं, क्योंकि लॉकडाउन की वजह से उनके स्थान पर आने नये कम्रचारी वहां नहीं पहुंच पाये हैं। तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक शशि शंकर ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘ मुझे इन कर्मचारियों की ओर से संदेश प्राप्त हुआ है कि देश की जरूरत के लिए जब तक आवश्यकता होगी वह समुद्र बीच स्थित इन तेल मंचों पर काम करते रहेंगे।

उन्हें इससे खुशी मिलती है।’’ देश के अधिकतर तेल एवं गैस क्षेत्र समुद्री क्षेत्र में ही हैं। इन जगहों से तेल निकालने के लिए ओएनजीसी जैसी कंपनियों को समुद्र तल के भीतर खुदाई करनी होती है और वहां समुद्र में ही तेल कुंए के ऊपर लोहे का ढांचा खड़ा करना होता है। बाद में निकलने वाले तेल को पाइपों के जरिये किनारे तक पहुंचा दिया जाता है।

इन लोहे के ढांचों पर ही क्षेत्र का परिचालन और रखरखाव करने वाले कर्मचारियों के लिए रहने की सुविधा होती है। अरब सागर में मुंबई हाई ओएनजीसी का सबसे प्रमुख तेल क्षेत्र है। इसके अलावा बासेन और हीरा जबकि पश्चिम बंगाल में कृष्णा गोदावरी बेसिन तेल क्षेत्र हैं।

वैश्विक स्तर पर ऐसे क्षेत्रों में काम करने वाले कर्मचारियों को महीने में 14 दिन समुद्र के बीच में काम करना होता है और बाकी का समय वह घर पर अपने परिवार के साथ बिताते हैं। शंकर ने कहा कि ओएनजीसी के अधिकतर कर्मचारी इसी 14 दिन के चक्र में काम करते हैं। लेकिन सार्वजनिक पाबंदी की वजह से उनके बदले काम करने वाले कर्मचारी मुंबई नहीं पहुंच सके। मुंबई से ही इन कर्मचारियों को हेलीकॉप्टर के माध्यम से समुद्र के बीच स्थित तेल क्षेत्र तक पहुंचाया जाता है। 

टॅग्स :पेट्रोलओएनजीसी
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