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UP Ki Khabar: मस्जिद में लाउडस्पीकर से अजान पढ़ना इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सुनाया फैसला

By अनुराग आनंद | Updated: May 15, 2020 19:29 IST

गाजीपुर से बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सांसद अफजाल अंसारी की अजान पर रोक के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह फैसला दिया है।

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ठळक मुद्देयाचिकाकर्ता ने कहा कि अपनी याचिका में उन्होंने कहा था कि लोगों को नमाज के वक्त की जानकारी देने के लिए अजान जरूरी है।याचिकाकर्ता ने कहा कि सरकार मूल अधिकारों पर रोक नहीं लगा सकती।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मस्जिदों में अजान पढ़ने को लेकर एक बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने अजान के खिलाफ दिए गए याचिका पर सुनवाई के बाद फैसला सुनाते हुए कहा है कि अजान इस्लाम का अहम हिस्सा है, लेकिन लाउडस्पीकर से अजान इस्लाम का हिस्सा नहीं है।

हिन्दुस्तान टाइम्स के मुताबिक, गाजीपुर से बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सांसद अफजाल अंसारी की अजान पर रोक के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह फैसला दिया है। इस मामले में 05 मई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

आज इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अजान इस्लाम का जरूरी हिस्सा हो सकता है लेकिन लाउडस्पीकर से अजान इस्लाम का हिस्सा नहीं हो सकता। कोर्ट ने कहा कि जिला प्रशासन किसी भी हालत में रात 10 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर के इस्तेमाल की इजाजत नहीं दे सकता। जस्टिस शशिकांत गुप्ता और जस्टिस अजीत कुमार की बेंच ने कहा कि मुअज्जिन बिना किसी लाउडस्पीकर या अन्य उपरकण के अपनी आवाज में मस्जिद से अजान पढ़ सकता है। 

कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए जारी राज्य सरकार के दिशानिर्देश के बहाने इस तरह से अजान पढ़ने को नहीं रोका जा सकता है। याचिकाकर्ता सांसद अफजाल अंसारी, पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री और वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद और वरिष्ठ अधिवक्ता वसीम ए कादरी ने लाउडस्पीकर के जरिए मुअज्जिन द्वारा अजान पढ़ने की इजाजत मांगी थी। गाजीपुर सांसद अफजाल अंसारी ने अपनी याचिक में कहा था कि गाजीपुर के जिलाधिकारी ने मौखिक आदेश से मस्जिदों से अजान देने पर रोक लगा दी है, जो धार्मिक स्वतंत्रता के मूल अधिकारों का उल्लंघन है। जबकि गाजीपुर में सभी लोग लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं और अपने घरों में नमाज पढ़ रहे हैं। 

अपनी याचिका में उन्होंने कहा था कि लोगों को नमाज के वक्त की जानकारी देने के लिए अजान जरूरी है। साथ ही यह धार्मिक स्वतंत्रता के मूल अधिकार में आता है। सरकार मूल अधिकारों पर रोक नहीं लगा सकती।

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