देश के मौजूदा हालात पर विशाल भारद्वाज की नई कविता, हुक्मरां पर कसा तंज!

By आदित्य द्विवेदी | Published: September 26, 2019 10:21 PM2019-09-26T22:21:07+5:302019-09-26T22:21:07+5:30

हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के जाने-माने निर्माता-निर्देशक विशाल भारद्वाज ने देश के मौजूदा हालात पर एक नई कविता लिखी है।

read new poem of Vishal Bhardwaj on the prevailing situation of the country | देश के मौजूदा हालात पर विशाल भारद्वाज की नई कविता, हुक्मरां पर कसा तंज!

देश के मौजूदा हालात पर विशाल भारद्वाज की नई कविता, हुक्मरां पर कसा तंज!

हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के जाने-माने निर्माता-निर्देशक विशाल भारद्वाज ने देश के मौजूदा हालात पर एक नई कविता लिखी है। ट्विटर पर शेयर की गई इस कविता में विशाल भारद्वाज ने देश के हुक्मरां पर तंज कसा है। पढ़िए, विशाल भारद्वाज की यह कविता...

बस्तियों में ख़ौफ़ है कौन चौकीदार है   
जज भी ख़ुद वक़ील भी और गुनहगार है 
जादू है ज़बान में, बात में तिलस्म भी 
हाथ में नक़द लगे, खाते में उधार है 
घर में ख़ून बह रहा और मेरा हुक्मराँ
आसमान के कभी, सरहदों के पार है

उनकी इस कविता पर लोग मिली-जुली प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं। कुछ लोग उन्हें सरकार का विरोधी बता रहे हैं तो कुछ यूजर्स देश के हालात पर चिंता व्यक्त करने के लिए उनका शुक्रिया अदा कर रहे हैं।

गीतकार, संगीतकार, पटकथा लेखक और निर्देशक विशाल भारद्वाज ज्वलंत मुद्दों पर अपनी बात रखते रहते हैं। ओमकारा, खून माफ़, इश्किया, कमीने, यू मी और हम, दस कहानियां, माचिस उनकी कुछ चर्चित फिल्में हैं।

पढ़िए विशाल भारद्वाज की एक और कविता...

एक आंधी थी आंगन उड़ा ले गई
मेरा घर बार उस रोज़ सड़कों पे था
बूढ़ा बरगद उखड़ के जमीन पे गिरा
और जंड़ें उसकी आकाश छूने लगी।

Web Title: read new poem of Vishal Bhardwaj on the prevailing situation of the country

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