पूर्व CJI रंजन गोगोई के राज्यसभा जाने पर जस्टिस लोकुर ने उठाया सवाल, पूछा- क्या आखिरी स्तम्भ भी ढह गया?
By रामदीप मिश्रा | Published: March 17, 2020 10:39 AM2020-03-17T10:39:49+5:302020-03-17T15:05:13+5:30
कांग्रेस ने रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किए जाने को लेकर सोमवार कटाक्ष किया और कहा कि तस्वीरें सबकुछ बयां करती हैं। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्विटर पर दो खबरें शेयर करते हुए यह टिप्पणी की थी।
सरकार ने पूर्व प्रधान न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया, जिसके बाद सवाल खड़े किए जाने लगे। पहले कांग्रेस ने उनके मनोनीत होते ही कटाक्ष किया और इसके बाद रंजन गोगोई के सहयोगी रहे न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) मदन बी लोकुर ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि कुछ समय से अटकलें लग रही थीं कि गोगोई को क्या सम्मान मिलेगा?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मदन बी लोकुर ने कहा है कि पिछले कुछ समय से अटकलें लग रही थीं कि न्यायमूर्ति गोगोई को क्या सम्मान मिलेगा, ऐसे में उनका नामांकन कोई अचरज में डाल देने वाला नहीं है, लेकिन जो आश्चर्य की बात है वह यह है कि यह इतनी जल्दी हो गया। यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता, निष्पक्षता और अखंडता को फिर से परिभाषित करता है। वहीं, उन्होंने सवाल भी खड़ा किया और पूछा है कि क्या आखिरी गढ़ ढह गया है?
बताते चलें कि साल 2018 के जनवरी में सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जजों ने एक अभूतपूर्व कदम में उठाते हुए प्रेस कॉन्फ्रेस बुलाई थी। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में जस्टिस गोगोई, मदन बी लोकुर, जस्टिस चेलमेश्वर और कुरियन जोसेफ शामिल थे। इन जजों ने महत्वपूर्ण मामले के आवंटन को लेकर तात्कालीन CJI दीपक मिश्रा के आचरण पर सवाल उठाए थे।
बीते दिन गृहमंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया, 'भारत के संविधान के अनुच्छेद 80 के खंड (1) के उपखंड (ए), जिसे उस अनुच्छेद के खंड (3) के साथ पढ़ा जाए, के तहत मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए राष्ट्रपति को श्री रंजन गोगोई को राज्यसभा में एक सदस्य का कार्यकाल समाप्त होने से खाली हुई सीट पर मनोनीत करते हुए प्रसन्नता हो रही है।'
यह सीट केटीएस तुलसी का राज्यसभा का कार्यकाल पूरा होने से खाली हुई थी। गोगोई ने उस पांच न्यायाधीशों की पीठ का नेतृत्व किया जिसने गत वर्ष नौ नवम्बर को संवेदनशील अयोध्या मामले पर फैसला सुनाया था। वह उसी महीने बाद सेवानिवृत्त हो गए थे। गोगोई ने साथ ही सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश और राफेल लड़ाकू विमान सौदे संबंधी मामलों पर फैसला देने वाली पीठों का भी नेतृत्व किया।