पासवान ने राज्य सरकारों पर राशन में मुफ्त दाल वितरण में लगन से काम न करने का लगाया आरोप
By भाषा | Published: May 9, 2020 08:50 PM2020-05-09T20:50:12+5:302020-05-09T20:50:12+5:30
केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने राज्य सरकारों पर सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत परिवारों को मुफ्त में दाल उपलब्ध कराने के मामले में ‘‘पूरा प्रयास नहीं करने का आरोप लगाया है।
नई दिल्ली: केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने राज्य सरकारों पर आरोप लगाया कि वह सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत परिवारों को मुफ्त में दाल उपलब्ध कराने के मामले में ‘‘पूरा प्रयास नहीं कर रहे हैं।’’ कोरोना वायरस संकट के इस दौर में इससे परिवारों को कुछ राहत पहुंचेगी। उन्होंने कहा कि कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पहले ही लगभग एक महीने के लिये दाल की आपूर्ति की जा चुकी है लेकिन उन्होंने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत राशन कार्ड धारकों को केवल 53,617 टन ही दाल वितरित की है।
पासवान ने कहा कि गरीब लोगों के हित में इस प्रक्रिया में तेजी लाई जानी चाहिये। गौरतलब है कि सरकार ने लॉकडाउन की अवधि के दौरान गरीबों की पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री गरीब योजना (पीएमजीएवाई) के तहत जून तक तीन महीने के लिए प्रत्येक राशनकार्ड धारक को मुफ्त एक किलो दाल वितरित करने का फैसला किया।
पासवान ने संवाददाताओं से कहा, “दालों का वितरण राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है। हमारे लिए इन कठिन समय में कच्ची दलहन फसलों को मिल में दाल के रूप में तब्दील कर राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में पहुंचाना आसान काम नहीं रहा है। राज्यों को कम से कम यह सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त प्रयास करना चाहिए कि जो भी दलहन की मात्रा उन्हें भेजी गई है, उन्हें पीडीएस के जरिए वितरित किया जाये।
पीएमजीएवाई के तहत दालों का मासिक आवंटन 1.95 लाख टन है। इसमें से 1.81 लाख टन दालें अब तक राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में पहुंच चुकी हैं, जिनमें से केवल 53,617 टन ही लाभार्थियों को वितरित की गई हैं। पासवान ने कहा, ‘‘सरकार के पास दाल का पर्याप्त स्टॉक है। हम मिलिंग कर रहे हैं और इसे राज्यों को मुहैया करा रहे हैं। क्या राज्य सरकारें कम से कम तीन महीने के लिए दाल वितरण की जिम्मेदारी नहीं ले सकती हैं? वे हमसे राज्यों में वितरण की देखभाल करने की उम्मीद नहीं कर सकते।
पासवान ने कहा,‘‘मैंने मुख्यमंत्रियों से व्यक्तिगत रूप से बात की है और उन्हें समझाया है। हम चाहते हैं कि राज्यों को अब तक जो भी भेजा गया है उसे वितरित किया जाए। हमने इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाया है, लेकिन राज्यों को भी कुछ दिलचस्पी लेनी चाहिए। वे पर्याप्त कोशिश नहीं कर रहे हैं।’’ उपभोक्ता मामलों की सचिव लीना नंदन ने कहा कि सहकारी संस्था नाफेड द्वारा रखे जाने वाले दलहन के बफर स्टॉक विभिन्न राज्यों में पड़े हुए हैं, जबकि दाल की मिलें कुछ राज्यों में ही केंद्रित हैं।
मिलिंग के लिए दाल प्राप्त करना और फिर उपभोग केंद्रों को आपूर्ति करना एक जटिल और गतिशील प्रक्रिया है। मिलिंग में प्रारंभिक देरी की पुष्टि करते हुए, सहकारी नेफेड के प्रबंध निदेशक संजीव कुमार चड्ढा ने कहा, हालांकि, सरकार द्वारा लॉकडाउन नियमों में ढील दिए जाने और मिलों के संचालन शुरू होने के बाद चीजें व्यवस्थित होने लगी हैं। उन्होंने कहा, "मिलिंग प्रक्रिया आठ अप्रैल के बाद सुचारू हो गई और हमने राज्यों को दालों को भेजना शुरू कर दिया। अब तक लगभग 2.63 लाख टन दालें भेजी जा चुकी हैं। मई महीने के वितरण के लिए दालों का वितरण जल्द ही शुरू किया जायेगा।
" उन्होंने कहा कि दालों की गुणवत्ता पर राज्यों से कुछ शिकायतें थीं, लेकिन उनका समाधान कर दिया गया है। मौजूदा समय में सरकार के बफर स्टॉक में लगभग 14.48 लाख टन दाल है, जिसमें अरहर की दाल लगभग 5.50 लाख टन, उड़द 2.60 लाख टन, चना 2.72 लाख टन, मूंग 1.20 लाख टन और मसूर 0.84 लाख टन है।