हिसारः हत्या के मामले में स्वयं-भू बाबा रामपाल को कोर्ट ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा
By रामदीप मिश्रा | Updated: October 16, 2018 13:03 IST2018-10-16T12:57:29+5:302018-10-16T13:03:47+5:30
हिसार जिले की एक सत्र अदालत ने हत्या के दो मामलों और अन्य अपराधों में सतलोक आश्रम के स्वयं-भू बाबा रामपाल और उसके 26 अनुयायियों को 10 अक्टूबर को दोषी करार दिया था।

हिसारः हत्या के मामले में स्वयं-भू बाबा रामपाल को कोर्ट ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा
हिसार जिले की एक सत्र अदालत ने हत्या के दो मामलों और अन्य अपराधों में सतलोक आश्रम के स्वयं-भू बाबा रामपाल और उसके 26 अनुयायियों को 10 अक्टूबर को दोषी करार दिया था, जिसके बाद मंगलवार (16 अक्टूबर) को सजा सुनाई गई है। हिसार के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय ने हत्या के दो मामलों और अन्य अपराधों में रामपाल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
इस दौरान हिसार में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं ताकि उनके प्रसशंक उपद्रव ना मचा सके। प्रशासन ने धारा 144 को 17 अक्टूबर तक लगाया हुआ है। बता दें, हिसार के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश डीआर चालिया ने हत्या के दो मामलों और अन्य अपराधों में रामपाल और उसके अनुयायियों को दोषी ठहराया।
Self-styled godman Rampal has been sentenced to life imprisonment in connection with two murder cases. pic.twitter.com/LxB4cQysvx
— ANI (@ANI) October 16, 2018
न्यायाधीश चालिया ने हिसार जिला जेल के अंदर एक अस्थायी अदालत में लगभग चार वर्ष तक चली सुनवाई के बाद अपना निर्णय सुनाया था। 67 वर्षीय रामपाल और उसके अनुयायी नवम्बर, 2014 में गिरफ्तारी के बाद से जेल में बंद थे।
रामपाल और उसके अनुयायियों के खिलाफ बरवाला पुलिस थाने में 19 नवम्बर, 2014 को दो मामले दर्ज किये गये थे। पहला मामला दिल्ली में बदरपुर के निकट मीठापुर के शिवपाल की शिकायत पर जबकि दूसरा मामला उत्तर प्रदेश में ललितपुर जिले के सुरेश ने दर्ज कराया था।
दोनों ने रामपाल के आश्रम के अंदर अपनी पत्नियों की हत्या की शिकायत की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि दोनों महिलाओं को कैद करके रखा गया और बाद में उनकी हत्या कर दी गई। हत्या के आरोपों के अलावा इन पर लोगों को गलत तरीके से बंधक बनाने का आरोप लगाया गया था।
पुलिस जब आश्रम के अंदर मौजूद रामपाल को गिरफ्तार करने जा रही थी तो उसके लगभग 15 हजार अनुयायियों ने 12 एकड़ जमीन में फैले आश्रम को घेर लिया था ताकि स्वयं-भू बाबा की गिरफ्तारी नहीं हो सके। स्वयं-भू बाबा के अनुयायियों की हिंसा के कारण छह लोगों की मौत हो गई थी।