रामनगर विधानसभा सीट 2025ः साल 2000 से जीत रही भाजपा?, विरोधी दल नहीं ढाह पाए बीजेपी किला, 8 में से 7 बार भगवा परचम!
By एस पी सिन्हा | Updated: June 4, 2025 17:09 IST2025-06-04T16:07:11+5:302025-06-04T17:09:20+5:30
Ramnagar Assembly Seat 2025: बिहार विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है, राजनीतिक दलों के हर ऐलान से राज्य में सियासी समीकरण बन और बदल रहे हैं।

file photo
चंपारणः बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में आने वाला रामनगर विधानसभा सीट राज्य में दूसरे नंबर पर आता है। यह सीट यह सीट सुरक्षित है। परंपरागत रूप से भाजपा की सीट रही है। 2020 में रामनगर में कुल 39.57 प्रतिशत वोट पड़े। 2020 में भाजपा से भागिरथी देवी ने इंडियन नेशनल कांग्रेस के राजेश राम को 15796 वोटों के अंतर से हराया था। वैसे 1990 के बाद से हुए 8 विधानसभा चुनाव में सात बार भाजपा के प्रत्याशी यहां से जीते हैं। अब जबकि बिहारविधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है, राजनीतिक दलों के हर ऐलान से राज्य में सियासी समीकरण बन और बदल रहे हैं।
राजनीतिक दलों अपनी सेना के साथ चुनावी जंग के लिए अपना अभ्यास शुरू कर दिया है। वहीं रामनगर विधानसभा सीट का राजनीतिक और जातीय समीकरण दूसरे क्षेत्रों से अलग है। इससे पहले इस सीट पर कांग्रेस का काफी सालों तक दबदबा रहा था। उसके बाद 1990 में पहली बार इस सीट से भाजपा के प्रत्याशी चंद्रमोहन राय ने जीत दर्ज की।
पर, लालू के लहर में 1995 में इस सीट को उस समय के जनता दल ने झटक लिया था। पर, उसके बाद वर्ष 2000 से यहां लगातार भाजपा जीतती आ रही है। यूं कहे तो 1990 से लेकर 2015 तक के सात चुनाव में सातो बार भाजपा को यहां से जीत मिली है। इसलिए इसे भाजपा का गढ़ भी कहा जाता है। 2015 के विधानसभा चुनाव में यहां से महागठबंधन के प्रत्याशी पूर्णमासी राम थे।
इसके बावजूद यहां गठबंधन का समीकरण काम नहीं आया और भागीरथी देवी ने दूसरी बार विधानसभा चुनाव में अपनी जीत दर्ज कर ली थी। वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से 11 उम्मीदवार मैदान में थे। जिसमें मुख्य मुकाबला भाजपा की भागीरथी देवी और कांग्रेस के राजेश राम के बीच ही हुआ था।
जबकि 2015 के विधानसभा चुनाव में रामनगर विधानसभा सीट पर 9 उम्मीदवार मैदान में थे। जहां तक इस विधानसभा क्षेत्र की कुल आबादी की बात है तो 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की कुल आबादी दो लाख 49 हजार 102 है। जिसमें से 80.6 फीसदी जनसंख्या गांवों में निवास करती है।
करीब 19.4 फीसदी लोग लोग नगर में रहते हैं। यहां अनुसूचित जाति व जनजाति का अनुपात करीब 32.5 फीसद से उपर है। जिसमें थारू, आदिवासी, पासवान, दलित शामिल हैं। ये जिनकी तरफ रहते हैं। उसकी जीत पक्की मानी जाती है। पर, इसमें भी तोड़ फोड़ होता है। जिसके कारण इन मतों का विभाजन हो जाता है।
इस क्षेत्र के थारू व आदिवासी अधिकतर दोन क्षेत्र में निवास करते हैं। जो किसी भी पार्टी के जीत व हार में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। 2015 में विजेता, भागीरथी देवी (भाजपा) को 82,166 वोट पड़े थे, जबकि पूर्णमासी राम (कांग्रेस) को 64,178 मत मिले थे। उसी तरह 2010 में विजेता भागीरथी देवी (भाजपा) को 51,993 मत पडे थे और विरोधी नरेश राम (कांग्रेस) को 22,211 मतों से हीं संतोष करना पड़ा था।