लोकसभा में संस्कृत प्राध्यापकों की कमी का मुद्दा उठा, निशंक ने कहा- जल्द दूर करेंगे
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 24, 2019 01:19 PM2019-06-24T13:19:12+5:302019-06-24T13:19:12+5:30
लोकसभा में राहुल कास्वां के प्रश्न के उत्तर में निशंक ने कहा, ‘‘संस्कृत देववाणी है। ऐसी वैज्ञानिक भाषा की पूरे विश्व को जरूरत है। ऐसी सभी संस्थाओं को सुदृढ़ करने की केंद्र की मंशा है।’’ उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान में 228 सृजित पद हैं और 139 लोग पदासीन हैं जबकि 89 पद रिक्त हैं।
लोकसभा में सोमवार को प्रश्नकाल के दौरान विश्वविद्यालयों में संस्कृत प्राध्यापकों की कमी का मुद्दा उठा। मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि तीन संस्कृत संस्थाओं राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, लाल बहादुर संस्कृत विद्यापीठ और राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ तिरुपति में अध्यापकों के रिक्त पदों को भरने पर कार्रवाई चल रही है।
लोकसभा में राहुल कास्वां के प्रश्न के उत्तर में निशंक ने कहा, ‘‘संस्कृत देववाणी है। ऐसी वैज्ञानिक भाषा की पूरे विश्व को जरूरत है। ऐसी सभी संस्थाओं को सुदृढ़ करने की केंद्र की मंशा है।’’ उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान में 228 सृजित पद हैं और 139 लोग पदासीन हैं जबकि 89 पद रिक्त हैं।
लाल बहादुर शास्त्री संस्कृत विद्यापीठ में सृजित पद 149 हैं जिसमें से 89 पदासीन हैं और 50 पद रिक्त हैं। राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ तिरूपति में 109 सृजित पद हैं जिसमें से 71 पदासीन और 38 रिक्त पद हैं । निशंक ने कहा, ‘‘ इन सभी पदों को युद्ध स्तर पर भरने के लिये निर्देश जारी किये गए हैं । इस पर कार्रवाई चल रही है।’’
स्कूलों एवं विश्वविद्यालयों में वैदिक शिक्षा को आगे बढ़ाने के संबंध में एन गोपालस्वामी समिति की रिपोर्ट के बारे में एक अन्य सवाल के जवाब में मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि इस समिति की अनुशंसा का अध्ययन करने के बाद इसे धीरे धीरे लागू करने की प्रक्रिया चल रही है।