रामचरितमानस विवादः सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य का विवादित बयान, श्रीरामचरितमानस पर बैन की मांग, देखें वीडियो
By भाषा | Updated: January 22, 2023 22:30 IST2023-01-22T22:26:40+5:302023-01-22T22:30:52+5:30
समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने तुलसीदास रचित श्रीरामचरितमानस के कुछ हिस्सों पर यह कहते हुए पाबंदी लगाने की मांग की है कि उनसे समाज के एक बड़े तबके का जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर अपमान होता है।

जातियों के लाखों लोगों की भावनाएं आहत हो रही हैं।
लखनऊः बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर द्वारा श्रीरामचरितमानस पर की गई टिप्पणी को लेकर उठे विवाद के बीच समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी इस पुस्तक पर विवादित बयान दिया है।
मौर्य ने तुलसीदास रचित श्रीरामचरितमानस के कुछ हिस्सों पर यह कहते हुए पाबंदी लगाने की मांग की है कि उनसे समाज के एक बड़े तबके का जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर अपमान होता है। पूर्व मंत्री ने कहा, ‘‘धर्म का वास्तविक अर्थ मानवता के कल्याण और उसकी मजबूती से है।
#WATCH | I don't have any issue with #Ramcharitramanas but a few parts of Ramcharitramanas have insulting comments & sarcasm specifying particular castes & sects, those should be banned...: SP leader #SwamiPrasadMauryapic.twitter.com/qmPB8OuESh
— TOI Lucknow News (@TOILucknow) January 22, 2023
अगर रामचरितमानस की किन्ही पंक्तियों के कारण समाज के एक वर्ग का जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर अपमान होता हो तो यह निश्चित रूप से धर्म नहीं बल्कि अधर्म है। रामचरितमानस की कुछ पंक्तियों (दोहों) में कुछ जातियों जैसे कि तेली और कुम्हार का नाम लिया गया है।"
'ऐसे धर्म का सत्यानाश हो जो हमारा सत्यानाश चाहता है'
— UP Tak (@UPTakOfficial) January 22, 2023
रामचरितमानस विवाद पर आक्रोशित नज़र आ रहे हैं स्वामी प्रसाद मौर्य। उन्होंने यूपी Tak से बातचीत में कहा कि इस ग्रंथ को (रामचरितमानस) बैन कर देना चाहिए।#SwamiPrasadMaurya | @aap_ka_santosh
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मौर्य ने कहा, "इन जातियों के लाखों लोगों की भावनाएं आहत हो रही हैं। इसी तरह से रामचरितमानस की एक चौपाई यह कहती है कि महिलाओं को दंड दिया जाना चाहिए। यह उनकी (महिलाओं) भावनाओं को आहत करने वाली बात है जो हमारे समाज का आधा हिस्सा हैं। अगर तुलसीदास की रामचरितमानस पर वाद-विवाद करना किसी धर्म का अपमान है तो धार्मिक नेताओं को अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अन्य पिछड़े वर्गों तथा महिलाओं की चिंता क्यों नहीं होती। क्या यह वर्ग हिंदू नहीं है?"
उन्होंने कहा, ‘‘रामचरितमानस के आपत्तिजनक हिस्सों जिनसे जाति वर्ग और वर्ण के आधार पर समाज के एक हिस्से का अपमान होता है उन्हें प्रतिबंधित कर दिया जाना चाहिए।" इससे पहले, बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने पिछली 11 जनवरी को नालंदा मुक्त विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में श्रीरामचरितमानस को समाज में नफरत फैलाने वाला ग्रंथ बताया था।
#WATCH | I don't have any issue with Ramcharitramanas but a few parts of Ramcharitramanas have insulting comments & sarcasm specifying particular castes & sects, those should be banned...: SP leader Swami Prasad Maurya pic.twitter.com/FhgcwoXOjs
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 22, 2023
उनके इस बयान पर काफी विवाद हुआ था। इस बीच, समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फखरुल हसन ने मौर्य के इस बयान के बारे में पूछे जाने पर कहा, "समाजवादी पार्टी सभी धर्मों और परंपराओं का सम्मान करती है। स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा की गई टिप्पणी उनके निजी विचार हैं और उनका पार्टी से कोई लेना देना नहीं है।
सपा युवाओं, बेरोजगारों और महिलाओं के हक की आवाज उठाती है।" उधर, भाजपा की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने कहा, "इस मामले पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, शिवपाल यादव, डिंपल यादव और रामगोपाल यादव को जवाब देना चाहिए। अब स्वामी प्रसाद मौर्य सपा में एक बड़ा नेता बनने के लिए छटपटा रहे हैं लेकिन उनकी कोई सुन नहीं रहा है। सपा ने हमारी धार्मिक गतिविधियों को बाधित करने की कोशिश की थी।"