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राम सेतु कब और कैसे बना? पानी के अंदर होगा शोध, ASI की मंजूरी, जानिए सबकुछ

By विनीत कुमार | Updated: January 14, 2021 14:07 IST

Ram Setu: राम सेतु को लेकर हिंदू धर्म में पहले से मान्यताएं मौजूद हैं। अब इसके वैज्ञानिक आधार को लेकर भी शोध किया जाएगा। रामसेतु कब और कैसे बना, इसे लेकर शोध से वैज्ञानिक तरीके से पर्दा उठ सकता है।

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ठळक मुद्देरामसेतु पर CSIR और नेशनल इंस्टट्यूट ऑफ ओसनोग्राफी, गोवा की ओर से शोध को मिली मंजूरीइस शोध से 'रामायण काल' की स्पष्ट अवधि सहित रामसेतु के ढांचे की 'उम्र' को लेकर मिल सकेगी जानकारीरेडियोमेट्रिक तकनीक से पता चलेगा कि ढांचा कितना पुराना है, पुरातात्विक वस्तुओं और अन्य वैज्ञानिक आधार भी होंगे शामिल

भारत और श्रीलंका के बीच समुद्र में मौजूद रामसेतु कितनी पुरानी है और इसका निर्माण कैसे हुआ था, इसे लेकर ठोस वैज्ञानिक जानकारी अगले कुछ वर्षों में सामने आ सकती है। इस बारे में विस्तृत शोध इस साल शुरू कर दी जाएगी। 

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार इस प्रोजेक्ट पर जो वैज्ञानिक काम करेंगे, उन्होंने उम्मीद जताई है कि इससे 'रामायण काल' की भी स्पष्ट अवधि के बारे में जानकारी मिल सकती है।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के तहत आने वाले केंद्रीय पुरातत्व सलाहकार बोर्ड ने दरअसल CSIR और नेशनल इंस्टट्यूट ऑफ ओसनोग्राफी, गोवा (NIO) की ओर से इस संबंध में शोध को लेकर पिछले महीने मंजूरी दे दी है।

रामसेतु: वैज्ञानिक तरीके से किया जाएगा पानी के नीचे शोध

NIO डायरेक्टर प्रोफेसर सुनील कुमार सिंह के अनुसार, 'प्रस्तावित स्टडी पुरातात्विक वस्तुओं, रेडियोमेट्रीक और भौगोलिक समय और दूसरे पर्यावरण संबंधित डाटा को समेटे होगा।'

उन्होंने साथ ही कहा, 'रेडियोमेट्रिक तकनीक से ये पता लगाया जाएगा कि ढांचा कितना पुराना है। ऐसा माना जाता है कि रामसेतु से जुड़े ये पत्थर कोरल या प्यूमिस स्टोन से बने हुए हैं। कोरल पत्थर में दरअसल कैल्शियम कार्बोनेट होते हैं जिसकी मदद से रामायण के काल और ढांचा कितना पुराना है, इस संबंध में जानकारी हासिल करने में मदद मिलेगी।'

रामसेतु पर शोध को लेकर लंबे समय से होती रही है चर्चा

बता दें कि ये परियोजना कई मायनों में अहम साबित हो सकती है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार रामसेतु 'रामायण' काल की हैं और इसे भगवान राम के वानर सेना द्वारा बनवाया गया था। करीब 48 किलोमीटर लंबी इस सेतु के साथ ये दावा भी किया जाता है राम की कहानी पौराणिक नहीं बल्कि ऐतिहासिक तथ्य है।

रामसेतु के मानव निर्मित होने के दावे पर चर्चा होती है। एएसआई ने इससे पहले 2007 में कहा था कि उस इस दावे के संबंध में कोई सबूत नहीं मिले हैं। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने एएसआई ने इस हलफनामे को वापस ले लिया था।

रिपोर्ट्स के अनुसार NIO रिसर्च के लिए सिंधु साधना या सिंधु संकल्प जैसे अपने जहाजों का इस्तेमाल करेगी। NIO ने देश भर में पानी के अंदर शोध के लिए ASI के साथ करार किया था। उस समय रामसेतु और द्वारका को लेकर शोध की बात भी हुई थी। द्वारका को भगवान कृष्ण की नगरी कहा जाता जिसके बारे में मान्यता है कि ये बाद में समुद्र में डूब गई।

अधिकारियों के अनुसार द्वारका पर शोध के लिए अतिरिक्त 28 लाख का बजट प्रस्तावित है जबकि रामसेतु के लिए शुरुआती बजट के तौर पर 10 लाख दिए जाएंगे। 

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