नई दिल्ली, 12 अक्टूबर: सत्ता और सियासत के गलियारों में बहुत से ऐसे शख्सियत हुए, जिन्होंने अपने विचारों से न केवल देश राजनीतिक को एक नई दिशा प्रदान की बल्कि समाज को प्रगतिशील की राह पर ले चलें। राम मनोहर लोहिया उन्हीं नामचीन शख्सियतों में से एक थे। राम मनोहर लोहिया सत्ता परिवर्तन और समाजवाद के प्रखर नेता थे। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राममनोहर लोहिया प्रखर चिंतक और समाजवादी नेता थे। अक्सर, राजनीतिक मंच पर खड़े उन बड़े नेताओं के मुख से निकली हुई हुंकार इन्हीं राजनेता के विचारों से प्रभावित हुई होती है।
राम मनोहर लोहिया के सिद्धांत आज भी लोगों के अंदर नई ऊर्जा भरते हैं। राम मनोहर लोहिया राजनीतिक अधिकारों के पक्षधर रहे हैं। हमेशा से समाज में बराबरी की व्यवस्था चाहने वाले राम मनोहर लोहिया की आज यानी 12 अक्टूबर को पुण्यतिथि है। 57 वर्ष के अपने जीवन में राम मनोहर लोहिया ने कई उतार-चढ़ाव देखें। राजनीतिक गलियारों में राममनोहर लोहिया के कई किस्से हैं लेकिन एक ऐसा ही किस्सा भारत की सबसे शक्तिशाली पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से जुड़ा हुआ है। इस वाकया में राममनोहर लोहिया ने इंदिरा गांधी को 'गूंगी गुड़िया' कहा था। आइए जानते हैं कि राममनोहर लोहिया ने आखिर पूर्व पीएम इंदिरा गांधी को क्यों 'गूंगी गुड़िया' कहा था।
लाल बहादुर शास्त्री के निधन के बाद
देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की ताशकंद में 11 जनवरी 1966 में रहस्य ढंग से निधन होने के दो सप्ताह बाद इंदिरा गांधी ने देश की प्रधानमंत्री पद के रूप में शपथ ग्रहण किया। सत्ता संभालने के बाद इंदिरा गांधी के सामने कई चुनौतियां थी। राजनीति, सामाजिक और आर्थिक समस्या के साथ कई समस्याएं उनके रास्ते की रुकावट बन गई थी। इंदिरा के पास अनुभव की बहुत कमी थी। इसलिए वो लोकसभा में विपक्ष के हमले के सामने टिक नहीं पाती थी। हमेशा से सदन में शांत सी बैठी रहती थीं। स्वतंत्रता संग्रामी और समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया और इंदिरा के पिता पंडित जवाहर लाल नेहरू के वैचारिक मतभेद थे। इंदिरा गांधी का ये रवैया देखकर उन्हें भरी संसद में गूंगी गुड़िया कहना शुरू करक दिया था।
लोहिया की सात क्रांतियां
राममनोहर लोहिया को भारत छोड़ो आंदोलन से उन्हें एक परिपक्व नेता साबित कर दिया था। 9 अगस्त 1942 को जब गांधी जी और अन्य कांग्रेस के नेता गिरफ्तार कर लिए गए, तब लोहिया ने भूमिगत रहकर 'भारत छोड़ो आंदोलन' को पूरे देश में फैलाया। लोहिया ऐसे कई सिद्धान्तों और क्रांतियों का मसीहा माना जाता है। वे सभी अन्यायों के खिलाफ एक साथ जेहाद बोलने के पक्षपाती थे। उन्होंने एक साथ सात क्रांतियों का आह्वान किया।
1. नर-नारी की समानता के लिए क्रान्ति,2. चमड़ी के रंग पर रची राजकीय, आर्थिक और दिमागी असमानता के खिलाफ क्रान्ति,3. संस्कारगत, जन्मजात जातिप्रथा के खिलाफ और पिछड़ों को विशेष अवसर के लिए क्रान्ति,4. परदेसी गुलामी के खिलाफ और स्वतन्त्रता तथा विश्व लोक-राज के लिए क्रान्ति,5. निजी पूँजी की विषमताओं के खिलाफ और आर्थिक समानता के लिए तथा योजना द्वारा पैदावार बढ़ाने के लिए क्रान्ति,6. निजी जीवन में अन्यायी हस्तक्षेप के खिलाफ और लोकतंत्री पद्धति के लिए क्रान्ति,7. अस्त्र-शस्त्र के खिलाफ और सत्याग्रह के लिये क्रान्ति।
राममनोहर लोहिया के जीवन से जुड़ी दिलचस्प बातें
- यूपी के फैजाबाद जिले में डॉक्टर राम मनोहर लोहिया का जन्म 23 मार्च 1910 को हुआ था।- राममनोहर लोहिया के पिता का नाम हीरालाल था जो एक अध्यापक थे और माता का नाम चंदा था। -1927 में काशी यूनिवर्सिटी से 12वीं पास करने के बाद आगे की पढ़ाई कलकत्ता के विद्यासागर कॉलेज से की।- इसके बाद जर्मनी जाकर लोहिया ने दो साल में ही अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की डिग्री ली।- राममनोहर लोहिया भारतीय राजनीति में सबसे ज्यादा महात्मा गांधी से प्रेरित थे।- स्वतंत्रता संग्राम में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वे सिर्फ दस साल की उम्र में ही सत्याग्रह से जुड़े थे।- 9 अगस्त, 1942 को महात्मा गांधी ने देश में भारत छोड़ो आंदोलन छेड़ दिया था।- 20 मई 1944 को उन्हें बम्बई से गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें लाहौर जेल में बंद कर दिया गया।- 1947 में देश के आजाद होने के बाद लोहिया और नेहरू में मतभेद होने शुरू हो गए। इस वजह से लोहिया ने कांग्रेस छोड़ दी।- 30 सितंबर, 1967 में उन्हें इलाज के लिए नई दिल्ली स्थित वेलिंगटन अस्पताल (अब लोहिया अस्पताल) में भर्ती कराया गया था। - 12 अक्टूबर को 57 साल की उम्र में उनका देहांत हो गया।