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राम मंदिर मुद्दे पर बोले RSS प्रमुख मोहन भागवत, इंसाफ में देरी अन्याय के बराबर है

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 25, 2018 19:16 IST

मोहन भागवत ने कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट में है और इसमें जल्द से जल्द निर्णय सुनाना चाहिए। यह साबित भी हो गया है कि मंदिर वहां था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट इस केस को प्राथमिकता नहीं दे रहा है।

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अयोध्या में विश्व हिन्दू परिषद की धर्म सभा के चलते पूरे देश में राम मंदिर का मुद्दा फिर से गरमाया हुआ है। इस बीच अयोध्या से 900 किमी दूर नागपुर में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने राम मंदिर को लेकर बड़ा बयान दिया है। विश्व हिन्दू परिषद के हुंकार रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अब धैर्य नहीं निर्णायक आंदोलन का वक्त आ गया है।सुप्रीम कोर्ट पर निशाना साधते हुए भागवत ने कहा कि न्यायपूर्ण बात यही होगी कि जल्द मंदिर बने, लेकिन यह कोर्ट की प्राथमिकता में नहीं है तो सरकार सोचे कि मंदिर बनाने के लिए कानून कैसे आ सकता है। 

संघ प्रमुख ने कहा, 'आज लड़ाई नहीं है लेकिन अड़ना तो है। जन सामान्य तक यह बात पहुंचानी जरूरी है कि सरकार इसके लिए कानून बनाए और जनता का दबाव आएगा तो सरकार को मंदिर बनाना ही होगा। फिर एक बार संपूर्ण भारतवर्ष को मंदिर के लिए खड़ा होना है। जो चित्र और मॉडल हमने सामने रखा है उसी के हिसाब से मंदिर बनना चाहिए। देश में जागरण का काम चले जब तक मंदिर निर्माण का काम शुरू न हो जाए।' मोहन भागवत ने कहा कि मामला कोर्ट में है और इसमें जल्द से जल्द निर्णय सुनाना चाहिए। यह साबित भी हो गया है कि मंदिर वहां था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट इस केस को प्राथमिकता में नहीं रख रहा है। उन्होंने कहा कि इंसाफ में देरी अन्याय के बराबर है। भागवत ने कहा कि कभी-कभी यह सवाल आता है कि मंदिर की मांग क्यों कर रहे हैं? तो यह मांग न करें तो कौन सी मांग करें। हमारा भारत स्वतंत्र देश है इसलिए यह मांग करते हैं। डॉ. राम मनोहर लोहिया ने अपनी किताब 'राम, कृष्ण और शिव' में कहा है कि भारतीय समाज जीवन का वस्त्र जो प्राचीन समय में बुना गया, उसके उत्तर-दक्षिण धागे को श्री राम ने पिरोया, पूर्व-पश्चिम धागे को श्री कृष्ण ने पिरोया और भगवान शिव तो इस पूरे समाज के मन में छा गए हैं। 

RSS चीफ ने कहा कि अयोध्या में राम की जन्मभूमि है जो एक ही होती है, दूसरी नहीं होती है। जब तक हम स्वतंत्र नहीं थे, हम चुप थे पर अब अपने मालिक बन गए हैं तो हमनी अपनी चीजों को बिठाया। पहला काम सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया। 

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