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राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद: अयोध्या केस की सुप्रीम कोर्ट आज से करेगा रोजाना सुनवाई, जानें अब तक की अपडेट्स

By धीरज पाल | Updated: October 29, 2018 12:34 IST

Supreme Court Ayodhya Babri Masjid, Ram Temple Verdict Live news updates, Highlights, Facts in Hindi: राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद मामले की सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली तीन सदस्यीय पीठ सुनवाई कर रही है।

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भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने मामले की सुनवाई जनवरी 2019 तक के लिए स्थगित कर दी है। सीजेआई जस्टिस रंजनके अलावा न्यायामूर्ति संजय किशन कौल और न्यायामूर्ति केएम जोसेफ पीठ के अन्य सदस्य हैं। साल 2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित भूमि को तीन हिस्सों में बाँटने का फैसला सुनाया था।

सुप्रीम कोर्ट में पहले इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायामूर्ति अशोक भूषण व न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर की पीठ कर रही थी। 27 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने नमाज के लिए मस्जिद को इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं माना था। तीन जजों की बेंच में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और जस्टिस अशोक भूषण ने संयुक्त रूप से फैसला सुनाते हुए 1994 के इस्माइल फारूकी फैसले को बरकरार रखा था। उन्होंने 24 साल पुराने फैसले को बड़ी बेंच के सामने भेजने से मना कर दिया। इस मामले से जुड़ी सभी बड़ी अपडेट के लिए पढ़ते रहिए 

क्या है अयोध्या विवाद

अयोध्या में छह दिसंबर, 1992 को विवादित ढांचे के विध्वंस की घटना से संबंधित दो मुकदमे हैं। अयोध्या का राममंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद सुप्रीम कोर्ट में अभी लंबित है। पहले मुकदमे में अयोध्या की जमीन किसकी है, इस पर अभी सुनवाई होनी बाकी है। हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों ने 2010 के इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले को मानने से मना कर दिया था, जिसमें  कहा गया था कि इस जमीन को बांट दिया जाए। हाई कोर्ट ने जमीन को 2:1 के अनुपात में बांटने का फैसला किया गया था। जिसको दोनों पक्षों ने अस्वीकार कर दिया था। हाई कोर्ट ने ने मध्यकालीन स्मारक को विध्वंस करने की कार्रवाई को ‘अपराध’ बताते हुये कहा था कि इसने संविधान के ‘धर्मनिरपेक्ष ताने बाने’ को हिला कर रख दिया।

रामलला, सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़ा तीन मुख्य याचिका कर्ता

इस मामले में तीन मुख्य याचिका कर्ता हैं- रामलला, सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़ा। सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि मुख्य याचिकाकर्ता की दलीलें पहले सुनी जाएंगी। उसके बाद अन्य याचिकाकर्ताओं की। कोर्ट का कहना है कि यह सिर्फ जमीन के विवाद का कानूनी मामला है इसलिए भावनात्मक और राजनीतिक दलीलें नहीं चलेंगी। राम मंदिर पक्ष से अब कोई कोई नया पक्ष नहीं जोड़ा जाएगा। केस की सुनवाई के दौरान जिन लोगों की मृत्यु हो चुकी है उनका नाम हटाया जा रहा है।

21 जुलाई 2017 को बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ले गए थे और जल्दी सुनवाई करने की अपील की थी। रामजन्मभूमि विवाद के लिए 7 अगस्त को एक स्पेशल बेंच का गठन किया गया था जो इस मामले की सुनवाई कर रहा है। माना जा रहा था कि रोज सुनवाई करके जल्दी ही इस मामले का निपटारा किया जाएगा।

सात साल पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित रामजन्मभूमि मामले पर फैसला सुनाया। अपने फैसले में हाई कोर्ट ने मस्जिद से पहले मंदिर होने की बात मानी थी लेकिन विवादित भूमि को तीन हिस्से में बांट दी थी। इसमें रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड शामिल थे। इस फैसले से असंतुष्ट सभी पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था जिस पर सुनवाई चल रही है। 

टॅग्स :राम जन्मभूमिसुप्रीम कोर्टअयोध्याराम मंदिरजस्टिस रंजन गोगोई
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