अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले पर सुप्रीम कोर्ट आज (शनिवार, 9 नवंबर) सुबह 10.30 बजे अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाएगा। इस मामले की 40 दिन की मैराथन सुनवाई के बाद 16 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। ये विवाद अयोध्या की 2.77 एकड़ जमीन के लिए है, जिस पर हिंदू पक्ष राम जन्म भूमि होने का दावा करते रहे हैं, जबकि मुस्लिम पक्ष का कहना है कि वहां हमेशा से बाबरी मस्जिद थी। इस विवाद स्थल पर साल 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपना फैसला सुनाया था।
30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अयोध्या मामले पर फैसला सुनाते हुए 2.77 एकड़ जमीन को तीन पक्षों, रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड के बीच बांटने का फैसला सुनाया था। हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद करीब पिछले 70 वर्षों के जारी विवाद का भी पटाक्षेप हो जाएगा।
हाईकोर्ट ने कैसे किया जमीन का बंटवारा
अयोध्या विवादित स्थल पर हाईकोर्ट ने कहा कि इस पर मुस्लिमों, हिंदुओं और निर्मोही अखाड़े का संयुक्त मालिकाना हक है। हाईकोर्ट ने इसे तीन पक्षों में बराबर बांट दिया था। इसका नक्शा कोर्ट द्वारा नियुक्त आयुक्त शिवशंकर लाल ने तैयार किया था।
हाईकोर्ट के फैसले के मुताबिक तीन गुंबद वाले ढांचे के केंद्रीय गुंबद के नीचे वाला स्थान हिंदुओं का है। यहां वर्तमान में रामलला की मूर्ति है। यह हिस्सा हिंदुओं को आवंटित किया जाए।निर्मोही अखाड़े को राम चबूतरा और सीता रसोई सहित उसका हिस्सा दिया जाएगा। जिस स्थान पर मुसलमान नमाज पढ़ते थे उस हिस्से को मुस्लिमों को दिया जाए।
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