Rajya Sabha polls: केंद्रीय मंत्री आरसीपी का क्या हुआ, राज्यसभा जाएंगे या नहीं, जदयू की चुप्पी, भाजपा पर नजर, नामांकन के 48 घंटे शेष

By एस पी सिन्हा | Published: May 29, 2022 05:30 PM2022-05-29T17:30:53+5:302022-05-29T17:32:53+5:30

Rajya Sabha polls: राज्यसभा के पांच सीटों के लिए चुनाव होने हैं. दो सीटें राजद के हिस्से में चली गई है. राजद ने इन दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर दी है, उनके नामांकन भी कर लिया गया है.

Rajya Sabha polls cm nitish kumar nda Union Minister RCP Singh silence JDU eyes BJP two days left nomination 48 hours | Rajya Sabha polls: केंद्रीय मंत्री आरसीपी का क्या हुआ, राज्यसभा जाएंगे या नहीं, जदयू की चुप्पी, भाजपा पर नजर, नामांकन के 48 घंटे शेष

जदयू की तरफ से अब तक संशय बनाये रखे जाने के बीच यह खबर सामने आ रही है कि आरसीपी सिंह को लेकर भाजपा ने जदयू को बड़ा ऑफर दिया है.

Highlightsआरसीपी सिंह के लिए आज का दिन बेहद महत्वपूर्ण साबित होने वाला है. राज्‍यसभा की सदस्यता फंसी हुई है और नामांकन के दो दिन शेष रह गए हैं. राज्यसभा की सदस्यता से वंचित रह जाने की स्थिति में वह छह महीने तक ही मंत्री रह सकते हैं.

Rajya Sabha polls: केंद्र में जदयू के इकलौते केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह फिर से राज्यसभा जाएंगे या नहीं? इसको लेकर अब तक असमंजस की स्थिति बनी हुई है. जदयू की ओर से किसी भी क्षण राज्‍य सभा उम्‍मीदवार का औपचारिक एलान किए जाने की संभावना तेज हो गई है.

ऐसे में आरसीपी सिंह के लिए आज का दिन बेहद महत्वपूर्ण साबित होने वाला है. राज्‍यसभा की सदस्यता फंसी हुई है और नामांकन के दो दिन शेष रह गए हैं. लेकिन अभी तक जदयू ने रहस्य से पर्दा नहीं उठाया है. आरसीपी को जदयू अगर फिर से राज्यसभा भेजती है तो यह सामान्य बात होगी. लेकिन अगर किसी और पर दांव लगाती है तो बिहार की राजनीति के लिए यह बड़ी घटना होगी. 

जानकारों के अनुसार आरसीपी को अगर जदयू नेतृत्व का भरोसा नहीं मिल पाता है तो भाजपा पर भी सबकी नजर रहेगी. भाजपा उनके साथ क्या व्यवहार करती है, क्योंकि राज्यसभा की सदस्यता से वंचित रह जाने की स्थिति में वह छह महीने तक ही मंत्री रह सकते हैं. उसके बाद उन्हें पद छोड़ना पड़ेगा. ऐसी स्थिति में आरसीपी को भाजपा की कृपा की जरूरत पड़ेगी.

जदयू की तरफ से अब तक संशय बनाये रखे जाने के बीच यह खबर सामने आ रही है कि आरसीपी सिंह को लेकर भाजपा ने जदयू को बड़ा ऑफर दिया है. बताया जा रहा है कि आरसीपी के लिए भाजपा अपने कोटे की एक सीट जदयू को देने को तैयार है. लेकिन इसके साथ कुछ शर्तें भी उन्होंने लगाई है. अगर इन शर्तों को जदयू नेतृत्व मान लेता है तो आरसीपी का फिर से राज्यसभा जाने का रास्ता साफ हो सकता है.

आरसीपी अभी केंद्र में मंत्री हैं और मंत्री पद पर बने रहने के लिए उन्हें राज्यसभा में फिर से भेजना जरूरी है. मगर जदयू में अंदरूनी विरोध को देखते हुए कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. भाजपा के इस ऑफर के पीछे बड़ी रणनीति यह है कि राज्यसभा की अपने कोटे एक सीट जदयू को देकर भाजपा विधान परिषद में अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश की जाये.

अगले माह विधान परिषद की सात सीटों पर चुनाव होना है. जिनमें चार सीटें एनडीए को मिल सकती है. भाजपा की कोशिश है कि इन चार सीटों में तीन सीटें उन्हें मिले. यह तभी संभव हो सकता है, जब जदयू का पूरा सहयोग उन्हें मिले. वहीं, विधायकों की संख्या के हिसाब से भाजपा को दो और जदयू को एक सीट मिलेगी.

किंतु भाजपा को राज्यसभा की दो सीटों के लिए जदयू से अतिरिक्त पांच वोटों की जरूरत होगी तो विधान परिषद में तीन सीटों के लिए अतिरिक्त 16 वोट चाहिए. भाजपा का प्रयास विधान परिषद में अधिक सीटें प्राप्त करने का है, जो जदयू के सहयोग के बगैर संभव नहीं है. राजग में दिल्ली से पटना तक भाजपा का जदयू अब इकलौता मजबूत साझेदार है.

यही वजह है कि भाजपा हर हाल में जदयू के साथ गठबंधन बरकरार रखना चाहती है. राष्ट्रीय स्तर इसका बड़ा महत्व भाजपा देख रही है. वहीं, जदयू भी इस बात को अच्छे से समझ रहा है. इस वजह से पूरी तरह तोल-मोल कर भाजपा बिहार में राजग को बरकरार रखना चाहती है. इसमें जदयू के हिस्से से राजग में शामिल पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हम की भूमिका भी खास रहने की चर्चा है.

वर्तमान में राज्यसभा के पांच सीटों के लिए चुनाव होने हैं. इनमें दो सीटें राजद के हिस्से में चली गई है. राजद ने इन दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर दी है, उनके नामांकन भी कर लिया गया है. वहीं बची हुई तीन सीटों में दो सीटें भाजपा और एक सीट जदयू के कोटे की है. जिनमें अब कहा जा रहा है कि भाजपा अपने कोटे की एक सीट जदयू को देने को तैयार है.

लेकिन शर्त यह है कि इस सीट पर आरसीपी सिंह को ही उम्मीदवार घोषित किया जाए. उल्लेखनीय है कि आरसीपी सिंह, नीतीश कुमार के करीबी और विश्‍वस्‍त लोगों की सूची में टाप पर रहे हैं. नीतीश कुमार ने जब जदयू अध्‍यक्ष का पद छोड़ा तो आरसीपी सिंह को ही यह जिम्‍मेदारी सौंपी गई. आरसीपी सिंह केंद्रीय मं‍त्रि‍मंडल में शामिल हो गए, तो यह पद ललन सिंह को दिया गया.

इसी के बाद जदयू में गुटबाजी की चर्चाएं सामने आने लगीं. कहा गया कि आरसीपी अपनी मर्जी से केंद्रीय मं‍त्रिमंडल में शा‍मिल हो गए, जबकि जदयू के दूसरे नेता कम से कम दो मंत्री पद चाहते थे. ऐसे में जदयू नेतृत्व ने अगर आरसीपी पर अगर भरोसा किया तो वह मजबूत बनकर उभर सकते हैं और पार्टी में चल रही गुटबाजी की चर्चाओं पर काफी हद तक विराम लग जाएगा.

अगर वह टिकट से वंचित रहते हैं तो टकराव भी बढ़ सकता है. जदयू में गुटबाजी खुलकर सामने आ सकती है. पार्टी को एकजुट बनाए रखना भी एक चुनौती बन सकता है. संभव है कि देर सबेर पार्टी टूट जाये और जदयू के एक गुट व कांग्रेस के कुछ विधायकों को अपने पाले में लाकर भाजपा के सहयोग से आरसीपी सिंह बिहार के मुख्यमंत्री पद पर काबिज हो जायें. ऐसी अटकलें लगाई जाने लगी हैं.

Web Title: Rajya Sabha polls cm nitish kumar nda Union Minister RCP Singh silence JDU eyes BJP two days left nomination 48 hours

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे