राजीव गांधी हत्याकांडः सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को दिया 6 हफ्ते का समय, दोषियों पर रुख साफ करें
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: January 23, 2018 01:40 PM2018-01-23T13:40:35+5:302018-01-23T13:42:29+5:30
तमिलनाडु सरकार ने मई 2016 में ही बाकयदे केंद्र सरकार को पत्र लिखा था। इसमें राजीव गांधी हत्याकांड के सभी सात अभियुक्तों को माफी देने के संबंध में सिफारिश थी।
सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी हत्याकांड के सातों आरोपियों की माफी पर एक बार फिर से मोदी सरकार से जवाब मांगा है। उच्चतम अदालत ने मोदी सरकार को छह सप्ताह का समय देते हुए कहा कि वे जल्द से जल्द मामले पर अपना रुख साफ करें। मामले के सातों अभियुक्तों को माफी देने पर तमिलनाडु सरकार पहले ही अपनी राय व्यक्त कर चुकी है। लेकिन केंद्र सरकार के ढुल-मुल रवैये के चलते मामला अटका पड़ा है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को 45 दिन का समय दिया है और फैसला कर लेने को कहा है।
तमिलनाडु सरकार ने मई 2016 में ही बाकयदे केंद्र सरकार को पत्र लिखा था। इसमें राजीव गांधी हत्याकांड के सभी सात अभियुक्तों को माफी देने के संबंध में सिफारिश थी। बाद में तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से भी इसी संबंध में अर्जी डाली थी। अर्जी के अनुसार संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार इन अभियुक्तों के फांसी के पक्ष में नहीं थी। अर्जी में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) समेत दूसरे विपक्षी दलों की राय का भी हवाला दिया था। इसमें कहा गया था विपक्ष भी अभियुक्तों को फांसी के पक्ष में इच्छा शक्ति नहीं जाहिर की थी।
लेकिन केंद्र में राजग की सरकार बनने के बाद से इस सिफारिश को लटकाए हुए है। इसी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (23 जनवरी) को केंद्र सरकार से सभी सात दोषियों संथन, मुरूगन, पेरारीवलन, नलिनी श्रीहरन, रॉबर्ट पायस, रविचंद्रन और जयकुमार पर रुख स्पष्ट करने को कहा। ये सभी अभियुक्त जेल में हैं और उम्रकैद की सजा काट रहे हैं।
राजीव गांधी की हत्या
अलगाववादी तमिल संगठन लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) प्रमुख प्रभाकरण के इशारे पर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 21 मई 1991 को मानव बम के द्वारा हत्या की गई थी। हत्या और इसकी साजिश में कई लोग शामिल थे। 24 मई 1991 को सीबीआई की स्पेशल टीम ने इस पर मामला दर्ज किया था। यह हत्या एक रैली के दौरान हुई थी। वहीं मिले एक कैमरे की सहायता से धनु, लता, सुभा, नलिनी और सिवरासन तीन शख्स की पहचान हुई थी। बाद में सिवरासन को मामले का मास्टर माइंड और मुरूगन को उसका दाहिना हाथ बताया गया। जांच पड़ताल के वक्त करीब 100 लिट्टे समर्थकों के साइनाइड खाकर जान देने की खबरें भी मामले में आम रहीं। इसके बावजूद सीबीआई 26 लोगों मुकदमा चलाया। इनमें सात लोगों को साल 1999 में निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। बाद में राज्य सरकार इन्हें मांफ करने को लेकर आगे आई।