राजीव गांधी हत्या मामला: अदालत ने दोषी नलिनी की समयपूर्व रिहाई की याचिका की खारिज
By भाषा | Updated: March 12, 2020 06:53 IST2020-03-12T06:53:40+5:302020-03-12T06:53:48+5:30
अदालत ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सलाह मानने के लिये बाध्य होते हैं लेकिन फिर भी माफी, सजा कम करने या रिहाई के लिये अधिकृत करने को राज्यपाल के दस्तखत अनिवार्य हैं।

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी। (फाइल फोटो)
मद्रास उच्च न्यायालय ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रही नलिनी की उस याचिका को बुधवार को खारिज कर दिया जिसमें तमिलनाडु मंत्रिमंडल के एक फैसले के आधार पर समयपूर्व रिहाई की मांग की गई थी। अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि मंत्रिमंडल के फैसले के प्रभावी होने के लिये प्रदेश के राज्यपाल की मंजूरी अनिवार्य है।
अदालत ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सलाह मानने के लिये बाध्य होते हैं लेकिन फिर भी माफी, सजा कम करने या रिहाई के लिये अधिकृत करने को राज्यपाल के दस्तखत अनिवार्य हैं।
न्यायमूर्ति आर सुब्बैया और पोंगीअप्पन की पीठ ने नलिनी के वकीलों की उस दलील को खारिज कर दिया कि राज्यपाल की मंजूरी अनिवार्य नहीं है और याचिकाकर्ता को मंत्रिमंडल द्वारा दी गई सलाह के आधार पर उसे रिहा किया जा सकता है।
नलिनी ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में दावा किया था कि राज्य मंत्रिमंडल द्वारा नौ सितंबर 2018 को की गई उसकी रिहाई की सिफारिश पर अमल करने में चूंकि राज्यापाल नाकाम रहे हैं, इसलिये वह अवैध हिरासत में है।
अदालत ने कहा कि प्रदेश मंत्रिमंडल ने यद्यपि सभी सातों दोषियों की समयपूर्व रिहाई की अनुशंसा की थी, लेकिन इस सलाह पर कार्रवाई नहीं की गई थी और यह राज्यपाल के पास विचारार्थ लंबित है। पीठ ने कहा, “मंत्री परिषद के सलाह दे देने भर से याचिकाकर्ता समय पूर्व रिहाई की हकदार नहीं हो जाती जब तक कि राज्यपाल द्वारा उसे स्वीकार या उस पर हस्ताक्षर नहीं किया जाता।”