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राजस्थानः टोल टैक्स को लेकर सियासी चाय के प्याले में विरोध-प्रदर्शन का तूफान!

By प्रदीप द्विवेदी | Updated: November 2, 2019 06:00 IST

दिलचस्प तथ्य यह है कि यहां तो बीजेपी विरोध कर रही है, लेकिन राष्ट्रीय राजमार्गों पर भी निजी वाहन टोल टैक्स से मुक्त नहीं हैं. राष्ट्रीय राजमार्गों पर निजी वाहनों को टोल टैक्स से छूट देने की मांग को केन्द्र सरकार ने भी स्वीकार नहीं किया.

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ठळक मुद्देपूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार ने 1 अप्रेल, 2018 से राज्य में निजी वाहनों को 55 स्टेट हाईवे पर लगने वाले टोल टैक्स से छूट प्रदान की थीछूट से पहले पीडब्ल्यूडी, आरएसआरडीसी और रिडकोर की विभिन्न सड़कों पर सालाना टोल टैक्स संग्रहण लगभग 851 करोड़ रूपये था

राजस्थान में फिर से निजी वाहनों पर लागू टोल टैक्स के कारण सियासी चाय के प्याले में विरोध-प्रदर्शन का तूफान आ गया है. जहां इसके विरोध में बीजेपी ने जयपुर में धरना-प्रदर्शन किया, वहीं सीएम अशोक गहलोत का कहना है कि पिछली सरकार ने निजी वाहनों के लिए टोल फ्री करने का फैसला जल्दबाजी में और बिना सोचे-समझे लिया था.

यह उनका चुनावी लाभ का फैसला था, लेकिन इससे सड़कों की मरम्मत और रखरखाव के काम प्रभावित हो रहे हैं. टोल टैक्स की छूट वापस लेने का प्रस्ताव मंत्रिमंडल ने जनहित और राजकोष पर आने वाली बड़ी देनदारी को देखते हुए लिया है.

दिलचस्प तथ्य यह है कि यहां तो बीजेपी विरोध कर रही है, लेकिन राष्ट्रीय राजमार्गों पर भी निजी वाहन टोल टैक्स से मुक्त नहीं हैं. राष्ट्रीय राजमार्गों पर निजी वाहनों को टोल टैक्स से छूट देने की मांग को केन्द्र सरकार ने भी स्वीकार नहीं किया. जनता की लगातार मांग के बावजूद केन्द्र सरकार ने भी इस दिशा में कोई निर्णय नहीं लिया है, लिहाजा सरकार का मानना है कि- ऐसे में राज्य सरकार के लिए ऐसी छूट देना विवेकपूर्ण नहीं कहा जा सकता, क्योंकि इसका सीधा असर सड़क विकास के कार्यों पर ही पड़ता है, जिसका खामियाजा आमजन को भुगतना पड़ता है.

बहरहाल, गहलोत सरकार ने पिछली वसुंधरा सरकार का डेढ़ वर्ष पुराना फैसला पलटते हुए फिर से टोल लगाने का फैसला किया है और विभिन्न नाकों पर निजी वाहनों से डेढ़ साल पुरानी दर से टोल वसूला जाएगा.

उल्लेखनीय है कि पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार ने 1 अप्रेल, 2018 से राज्य में निजी वाहनों को 55 स्टेट हाईवे पर लगने वाले टोल टैक्स से छूट प्रदान की थी, जिसके कारण आधार वर्ष 2017-18 के अनुसार 172 करोड़ रूपये के टोल टैक्स का नुकसान हुआ. सरकार का कहना है कि इसका प्रदेश में सड़कों की मरम्मत एवं निर्माण कार्यों पर विपरीत असर पड़ा है, क्योंकि अनुबंध की शर्तों के उल्लंघन से सम्बन्धित अनुबंधकर्ता द्वारा मरम्मत एवं नवीनीकरण के कार्य भी नहीं कराए जा रहे हैं. 

यही नहीं, इस निर्णय से कुछ सड़क परियोजनाओं के नॉन-वाईबल होने की आशंका है, जिससे निर्माणाधीन सड़कों के कार्य भी भविष्य में प्रभावित होंगे तथा आमजन को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.छूट से पहले पीडब्ल्यूडी, आरएसआरडीसी और रिडकोर की विभिन्न सड़कों पर सालाना टोल टैक्स संग्रहण लगभग 851 करोड़ रूपये था, जिससे सड़कों की निर्माण राशि का पुनर्भरण और मरम्मत कार्य हो रहा था.

टोल शुल्क को लेकर सरकार और टोल वसूल करने वाले कन्सेशनर के बीच अनुबन्ध होता है. पूर्ववर्ती सरकार ने टोल वसूल करने वाली कम्पनियों को कोई मुआवजा दिए बिना तथा उनकी सहमति के बिना चुनावी वर्ष में चुनावी लाभ के लिए बिना सोचे समझे एकतरफा निर्णय लेते हुए स्टेट हाईवे पर निजी वाहनों को टोल शुल्क से मुक्त कर दिया, इस कारण सड़क परियोजना के अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन होने से टोल वसूलकर्ता सरकार के खिलाफ न्यायालय में चले गए. उन्होंने न्यायालय से टोल राशि के पुनर्भरण के साथ ही उसका ब्याज भी चुकाने की मांग रखी है. ऐसी स्थिति में राज्य सरकार पर दोहरा वित्तीय भार आने की संभावना है.

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